जजों के खिलाफ टिप्पणी को लेकर वकील और याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने भेजा अवमानना नोटिस

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता और उसकी ओर से याचिका दाखिल करने वाले वकील को यह कहते हुए अवमानना नोटिस जारी किया है कि अगर याचिका में जजों के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियां हैं तो याचिकाकर्ता की ओर से याचिकाएं दाखिल करने वाले वकील भी अवमानना कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होंगे।
नोटिस का दो दिसंबर तक देना होगा जवाब
जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने 11 नवंबर को याचिकाकर्ता मोहन चंद्र पी. और एडवोकेट आन रिकार्ड विपिन कुमार जय को नोटिस जारी करने का आदेश दिया, जिसका उन्हें दो दिसंबर, 2022 तक जवाब देना है। साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि दोनों व्यक्ति दो दिसंबर को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में उपस्थित रहेंगे।
याचिका में की गई टिप्पणियां कर्नाटक हाईकोर्ट के प्रति अपमानजक
पीठ ने कहा कि याचिका में की गईं टिप्पणियां न सिर्फ कर्नाटक हाई कोर्ट के प्रति अपमानजनक हैं, बल्कि बेहद अवमाननापूर्ण हैं। पीठ ने कहा, ‘इस अदालत की संविधान पीठ ने एक मामले में कहा है कि ऐसे अपमानजनक और अवमाननापूर्ण आरोपों पर अपने हस्ताक्षर करने वाले वकील भी अदालत की अवमानना के दोषी हैं।’
2018 में कर्नाटक सूचना आयोग ने जारी की अधिसूचना
इस मामले में सात अगस्त, 2018 को कर्नाटक सूचना आयोग ने एक अधिसूचना जारी की थी और मोहन चंद्र ने मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त पदों के लिए आवेदन किया था। चयन समिति ने मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के पदों के लिए तीन व्यक्तियों के नामों की सिफारिश की थी जिनमें मोहन चंद्र का नाम शामिल नहीं था। इसके बाद उन्होंने चयन प्रक्रिया को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट ने 21 अप्रैल 2022 को खारिज की याचिका
हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 21 अप्रैल, 2022 और खंडपीठ ने दो सितंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। यही नहीं खंडपीठ ने उन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसमें उन्होंने जजों के विरुद्ध कटाक्ष किए और उन पर सस्ती लोकप्रियता के लिए याचिका को खारिज करने का आरोप लगाया।