धरती पर लाखों प्रकार के पेड़े, पौधे, फल और फूल पाए जाते हैं. आपने तो बस 100 या 200 फलों के नाम ही सुने होंगे. बाहर से नींबू और भीतर से खीरा ककड़ी जैसा नजर आने वाला यह अफ्रीकन फल यदि आपने खा लिया तो इससे आपको कई तरह के सेहत लाभ होंगे.
कैसा दिखता है किवानो फल : धरती पर ऐसे भी कई फल है जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं लेकिन उनके सेहत संबंधी फायदे चौंकाने वाले हैं. किवानो फल भी उन्हीं में से एक है. अफ्रीकी मूल का यह फल दिखने में बहुत ही अजीब लगाता है. इसकी बनावट ड्रेगन फ्रूट जैसी है लेकिन इसकी उपरी परत नींबू या संतरे की तरह है. इसी तरह जब इसे काटा जाता है तो यह भीतर से खीरा ककड़ी या चकौतरे की तरह नजर आता है. किवानो का आकार एक बड़ा अंडे की तरह होता है.
किवानो के और भी है नाम : किवानो को हॉर्नेड मेलॉन या जैगरनाट मेलॉन भी कहा जाता है. इसका विज्ञानिक नाम कुकुमिस मेटुलिफेरस है.
कहां पाया जाता है किवानो : किवानो को अफ्रीका का खरबूजा कहा जाता है. इसे सींगदार खरबूजा कहते हैं. यह फल समुद्री क्षेत्र में पाया जाता है और अफ्रीका, न्यूजीलैंड और अमेरिका में उगाया जाता है.
कैसा है किवानो का स्वाद : इस फल का स्वाद केले, कीवी और खीरा का मिलाजुला स्वाद जैसा है. यानी कभी लगेगा की केला खा रहे हैं और कभी लगेगा की कीवी या खीरा खा रहे हैं. यह भी कहते हैं कि इसका बीज लाल होता है और उसमें एक जेली-जैसी पदार्थ होता है जो खाने में मीठा होता है. इसका स्वाद मेलों और बेलफलों के बीच का कुछ होता है. यह मीठा और खट्टा स्वाद देता है.
कौन से गुण हैं इसमें?
इस फल में विटामिन A भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
इस फल में 80 प्रतिशत से ज्यादा पानी होता है.
इसमें एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
यह फल पोटेशियम, विटामिन सी, फाइबर और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों का एक बहुत अच्छा स्रोत होता है.
यह शरीर के विजातीय पदार्थ को बाहर करके जवान बनाए रखने में सक्षम है.
इसे खाने से पाचन तंत्र में सुधार होता है.
यह इम्यूनिटी बूस्टर की तरह काम करता है.
पोटेशियम शरीर के अनावश्यक एसिड को खत्म करके हड्डियों मजबूत बनाता है.
यह दिमाग को तरोताजा बनाए रखने के लिए बेहतर विकल्प है.
कैसे खाते हैं किवानो को?
किवानो फल को ताजा खाया जाता है, जिसके कई फायदे हैं.
इसे शेक या स्मूदी के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं.
सीधे खाने के अलावा इसे सलाद और फलों की चाट में भी शामिल किया जाता है.
इसके बीजों का चूर्ण बनाया जाता है या इसका चटनी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.



















