
नई दिल्ली . छह साल की बच्ची के अपहरण, बलात्कार और उसकी हत्या के जुर्म में अदालत ने दोषी को ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई है. अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दोषी को आखिरी सांस तक जेल की सलाखों के पीछे रहना होगा.
रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुनील कुमार की अदालत ने इस व्यक्ति के कृत्य को वीभत्स और अमानवीय करार दिया है. अदालत ने कहा कि ऐसा व्यक्ति किसी तरह की दया या सहानुभूति का हकदार नहीं है. हालांकि, अदालत ने इस मामले को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी में नहीं रखा है. अदालत ने दोषी रविंदर कुमार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस तरह उसने इस वारदात को अंजाम दिया वह किसी शिकारी की हरकत की तरह है. इस व्यक्ति ने समाज की आत्मा को झकझोर कर रख दिया है. रविंदर का कृत्य एक राक्षस के समान है.
अदालत ने कहा कि छह साल की बच्ची से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह दोषी को उसका यौन उत्पीड़न करने व हत्या के लिए उकसाएगी. दोषी द्वारा किया गया अपराध एक क्रूर बलात्कार व हत्या का मामला है. ऐसे अपराधी को खुले में घूमने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता, बल्कि इसे अधिकतम सजा दी जानी चाहिए ताकि समाज में यह संदेश जाए कि हमारी न्याय व्यवस्था में अपराधियों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है. इसलिए अपराधी को आखिरी सांस तक जेल की सजा दी जा रही है. अदालत ने दोषी रविंदर कुमार पर 50 हजार का जुर्माना भी किया है. वहीं, अभियोजन फांसी की मांग की थी.
बच्ची के परिजनों को 15 लाख
अदालत ने एक तरफ जहां दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई है, वहीं मृतक छह वर्षीय बच्ची के माता-पिता को 15 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) को दिया है. यह मामला बेगमपुर थाने में वर्ष 2015 में दर्ज किया गया था. घर के बाहर खेल रही बच्ची को बहला-फुसलाकर रविंदर उसे सुनसान जगह पर ले गया. जहां उसने बलात्कार किया और फिर हत्या कर शव को पास ही स्थित टैंक में फेंक दिया. आरोपी को पुलिस ने घटना के कुछ ही दिन बाद गिरफ्तार किया था.