
आमतौर पर चीते को दिन में शिकार के लिए जाना जाता है, लेकिन हालिया अध्ययन में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन उनकी शिकार की आदतों को प्रभावित कर रहा है. इससे अन्य शिकारी जानवर जैसे शेर, तेंदुआ के साथ संघर्ष बढ़ रहा है.
यह शोध जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित हुआ है. इसके मुताबिक, जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो चीते अपनी गतिविधि को सुबह और शाम में परिवर्तित कर रहे हैं. रात में उनके शिकार की प्रवृत्ति बढ़ रही है. वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक, चीतों ने शिकार के घंटों को शेर और तेंदुओं जैसी बड़ी बिल्लियों के साथ 16 फीसदी तक ओवरलैप कर लिया है. अध्ययन के लिए 2011 से 2018 के बीच तापमान संबंधी परिवर्तन के आधार पर आंकड़ों को जुटाया गया. इस बारे में वाशिंगटन विश्वविद्यालय और गैर-लाभकारी बोत्सवाना प्रीडेटर कंजर्वेशन ट्रस्ट के जीवविज्ञानी कासिम रफीक ने कहा, चीतों के लिए रात के समय कम भोजन की संभावना ज्यादा रहती है.
ऐसे किया अध्ययन
यह अध्ययन चीता, शेर, तेंदुए और अफ्रीकी जंगली कुत्तों सहित 53 बड़े मांसाहारी जानवरों पर जीपीएस ट्रैकिंग कॉलर लगाकर आयोजित किया गया था. उनके स्थानों और गतिविधि के घंटों को आठ वर्षों में दर्ज किया गया. इस दौरान अधिकतम दैनिक तापमान रिकॉर्ड के साथ तुलना की गई. शोधकर्ताओं के मुताबिक, बदलता तापमान बड़े मांसाहारी प्रजातियों के व्यवहार पैटर्न और प्रजातियों के बीच की गतिशीलता को भी प्रभावित कर सकता है.
जीवन के लिए कर रहे संघर्ष
बता दें, चीता को धरती पर सबसे तेज भागने वाला जानवर और अफ्रीका में सबसे दुर्लभ बड़ी बिल्ली के रूप में जाना जाता है. इसकी संख्या जंगल में 7,000 से भी कम बची है. यह पहले से ही निवास स्थान के विखंडन और मनुष्यों के साथ संघर्ष से गंभीर दबाव का सामना कर रहे हैं. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि ये जलवायु परिवर्तन चीता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, खासकर बोत्सवाना, नामीबिया और जाम्बिया सहित अफ्रीका के उन हिस्सों में जहां वे रहते हैं.