ब्लैकहोल में हिचकी जैसी हलचल का रहस्य खुला
खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने विशाल ब्लैकहोल में हिचकी की तरह हो रही हलचल के रहस्य से पर्दा उठा दिया है. इसकी वजह गैस उत्सर्जन के कारण निश्चित समय के अंतराल में हो रहे विस्फोट हैं.
यह खोज ब्लैक होल में हो रही हलचल के राज खोलती है. इस अभूतपूर्व खोज में आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वैज्ञानिक डॉ. सुवेंदु रक्षित ने अहम भूमिका निभाई है. वैज्ञानिक डॉ. रक्षित ने बताया कि इस खोज में खगोलविदों ने दूर की एक आकाशगंगा के केंद्र में अनोखी घटना होती देखी, जो वैज्ञानिकों को भ्रमित करने वाली थी. यह आकाशगंगा पृथ्वी से लगभग 80 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर आंकी गई है. इसके केंद्र में एक महाविशाल ब्लैकहोल है. इसका व्यवहार हिचकियों के समान पाया गया था. हिचकियों जैसा ये व्यवहार लगातार होना पाया जा रहा था. ब्लैकहोल अंतरिक्ष में पाई जाने वाली ऐसी जगह होती है, जहां गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक होता है. ब्लैक होल का वेग बहुत ही अधिक होता है, इसलिए प्रकाश भी उसके अंदर जाने के बाद बाहर नहीं निकल सकता है. सभी चीजें उसमें समा जाती हैं.
80 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर दिखी अनोखी घटना अजीब से बदलाव देखकर शुरू की जांच
अध्ययन में पता चला, कि ये हिचकियां औसतन 8.5 दिनों के अंतराल में गैस उत्सर्जन के आवधिक विस्फोट के रूप में सामने आ रही हैं और इसके बाद ये सामान्य अवस्था में भी लौट आती हैं. साल 2020 से यह आकाशगंगा अपेक्षाकृत शांत थी. बाद में इसमें अप्रत्याशित बदलाव ने इस रहस्य से पर्दा हटाने के लिए वैज्ञानिकों को प्रेरित किया.
अभी पूरी नहीं सुलझी है ब्लैकहोल की गुत्थी
खोज के मुख्य विज्ञानी कांवली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के डॉ. धीरज पाशम के अनुसार ब्लैकहोल के बारे में हमारी जानकारी आज भी पूरी नहीं है. यह घटना एक तारे के महाविशाल ब्लैकहोल के करीब आने से हुई है. इसमें प्रचंड गुरुत्वाकर्षण ने तारे के टुकड़े कर दिए. इस घटना में चार महीनों तक महाविशाल ब्लैक होल तारे के मलबे को लीलता रहा.
छोटा ब्लैकहोल कर रहा ‘सुपरमैसिव’ की परिक्रमा
एरीज के डॉ. रक्षित ने बताया कि एक छोटाब्लैक होल केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैकहोल की परिक्रमा कर रहा है, जो समय-समय पर सुपरमैसिव ब्लैकहोल की गैस की डिस्क को बाधित करता है. इससे गैस का गुबार पैदा होता है. इस खोज से पता चलता है कि इसकी डिस्क में ब्लैकहोल समेत तारे भी शामिल हैं. यह खोज ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवा यानि असास-एसएन रोबोटिक दूरबीनों के नेटवर्क के जरिए संभव हो सकी. नासा के न्यूट्रॉन स्टार इंटीरियर कंपोजिशन एक्सप्लोरर यानि नाइसर दूरबीन का भी इस खोज में सहारा लिया गया.