
आईआईटी कानपुर : 12 किलो का एक ड्रोन और तीन महत्वपूर्ण कामों में मददगार. आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने मराल-2 नाम का यह बेहतरीन ड्रोन विकसित किया है.
यह सीमा सुरक्षा, प्राकृतिक आपदा में मदद और पर्यावरण निगरानी तीनों के लिए मुफीद पाया गया है. इसका डिजाइन हवाई जहाज जैसा है. सोलर ऊर्जा से उड़ान भरता है, लिहाजा बैटरी या रासायनिक ईंधन की जरूरत नहीं. इंटेलीजेंस पावर मैनेजमेंट सिस्टम के साथ लो आईआर है. इससे इसके रडार की पकड़ में आने की संभावनाएं न्यूनतम हैं. संस्थान के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. एके घोष की देखरेख में विजय शंकर द्विवेदी ने यह ड्रोन विकसित किया है.
सर्विलांस के लिए मददगार
इसमें अत्याधुनिक कैमरे ओर सेंसर लगे हैं, जो कंट्रोल रूम को फोटो भेजेंगे. सोलर ऊर्जा के कारण यह ड्रोन लगातार 12 घंटे तक मौके से कंट्रोल रूम तक फोटो भेजने में सक्षम होगा. जो सर्विलांस के लिए मददगार होगा.
नाइट लैंडिंग में सफल
मराल-2 नाइट लैंडिंग में सक्षम है. पांच किलोमीटर ऊंचाई के साथ 200 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. जिससे यह आपदा व सर्विलांस में अधिक प्रभावी साबित होगा.