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डीआरडीओ 75 क्षेत्रों में भविष्य की तकनीक तैयार करेगा

नई दिल्ली . आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 75 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भविष्य की तकनीकें विकसित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार की है.

75 क्षेत्रों में कुल 1295 किस्म की तकनीक विकसित करने की योजना है. इनमें एआई, क्वांटम तकनीक, ब्लाक चेन पर आधारित भविष्य की तकनीकों के अलावा जवानों एवं आम लोगों के उपयोग की उन्नत प्रौद्यौगिकी शामिल हैं.

डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार इस योजना का मकसद विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में विदेशी आयात से निर्भरता खत्म करना है. इसके तहत अगले 25 सालों के भीतर देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है. रक्षा तकनीकों के निर्माण से जुड़े जिन क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है.

इसमें तीनों सेनाओं के लिए आधुनिक विमान, यूएवी, राडार, युद्धक सिस्टम, सेना के लिए जवानों के लिए सैन्य सामग्री से लेकर टैंक, अत्याधुनिक राइफलें आदि शामिल हैं. इसी प्रकार वायुसेना के लिए पनडुब्बी आदि हैं. रक्षा तकनीकों में एआई आधारित प्रौद्यौगिकी को विकसित करने पर विशेष जोर दिया गया है. डीआरडीओ इसके लिए मिशन मोड में कार्य करेगा.

इन क्षेत्रों से जुड़ी तकनीक विकसित होगी

इनमें प्रमुख रुप से एयरो स्ट्रक्चर, एयरो डायनामिक्स, एआई/मशीन लर्निग टेक्नोलॉजी, अल्टरनेटिव पावर प्लांट, आर्म्ड एंड कांबेट व्हीकल, क्वांटम टैक्नोलाजीज, राडार टेक्नोलाजीज,,ईम रेल गन, गाइडेड आर्टिलरी, स्वार्म टेक्नोलाजी, अंडर वाटर डिफेंस टेक्नोलाजी, यूएवी, माइंस डिटेक्शन टेक्नोलाजीज आदि प्रमुख है.

तीन हजार कलपुर्जों का देश में निर्माण

बता दें कि हाल में सरकार ने तीन से ज्यादा युद्धक सामग्रियों को चिह्निनत किया है तथा उनके आयात पर चरणबद्ध तरीके से रोक लगाने का फैसला किया है. इसी प्रकार तीन हजार से अधिक कलपुर्जों का देश में ही निर्माण किया जाने लगा है जबकि पहले इन्हें भी विदेशों से आयात किया जाता था. पिछले कुछ सालों में इन प्रयासों से रक्षा क्षेत्र में कई स्टार्टअप कंपनियां सामने आई हैं तथा ड्रोन आदि क्षेत्रों में उन्होंने अच्छा कार्य किया है.

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