
दिल्ली. लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों से कमतर रहे हैं और उसके बाद से ही पार्टी में मंथन का दौर जारी है. राज्यों में पार्टी कार्यसमिति की बैठकें कर रही है, जिनमें चुनाव नतीजों की समीक्षा की जा रही है. इन बैठकों में कुछ दिलचस्प सवाल भी उठे हैं कि आखिर भाजपा को चुनाव में ऐसे नतीजे क्यों देखने पड़े. उम्मीद से कमजोर रिजल्ट को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि इसकी 7 वजहें हैं. इनमें से एक विदेशी हाथ होना भी है. वहीं आपसी कलह को जिम्मेदार बताया गया है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में अब तक मीटिंग्स हो चुकी हैं. इन बैठकों में राज्य के नेताओं के अलावा केंद्रीय स्तर से भी नेताओं को पर्यवेक्षक के तौर पर भेजा जा रहा है. यूपी में तो पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद मौजूद थे. इन मीटिंगों में सभी ने एक बात यह कही कि विपक्ष की ओर से संविधान बदलने और उसके आधार पर आरक्षण खत्म करने की अफवाह फैलाई गई. इसका असर यूपी, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में देखने को मिला, जहां ओबीसी और दलित वर्ग की अच्छी खासी आबादी है. उत्तर प्रदेश की मीटिंग में यह बात कही गई. इसके अलावा महाराष्ट्र में भी ऐसी ही चर्चा हुई. वहां तो सीएम एकनाथ शिंदे ने भी कहा कि इन अफवाहों के चलते नतीजे खराब आए हैं. उन्होंने माना कि एनडीए विपक्ष की ओर से फैलाई गई इन अफवाहों की काट नहीं कर सका. आमतौर पर ऐसा आरोप कम ही मिलता है, लेकिन भाजपा की मीटिंग्स में कहा जा रहा है कि इस लोकसभा चुनाव में विदेशी ताकतों का दखल था. राजस्थान में हुई समीक्षा बैठक में यह सवाल उठा था. वहां शिवराज सिंह चौहान और विनय सहस्रबुद्धे की मौजूदगी में हुई मीटिंग में कहा गया कि इन चुनावों में विदेशी हाथ था.
मोदी का जलवा पहले की तरह कायम
भाजपा में सभी नेता एकजुटता के साथ पीएम नरेंद्र मोदी का जलवा कायम रहने की बात कर रहे हैं. इन नेताओं का कहना है कि पार्टी ने आत्मविश्वास, आपसी कलह की वजह से नुकसान उठाया है, लेकिन नरेंद्र मोदी का जलवा जनता के बीच पहले की तरह कायम है. महाराष्ट्र में तो देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा तक देने को कह दिया था और खराब नतीजों की जिम्मदारी भी ली थी.
अतिआत्मविश्वास में आ गए हमारे लोग
अतिआत्मविश्वास के चलते हार की बात भाजपा में लगातार कही जा रही है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि हम लोग अतिआत्मविश्वास में आ गए. इसी का नतीजा है कि चुनाव नतीजों के बाद अब जो विपक्ष कहीं कोने में बैठा था, वह अब उछल रहा है.