बीएससी नर्सिंग में देर से हुए एडमिशन के लिए निजी कॉलेजों में नहीं बनाई अनियमित बैच
रायपुर: इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) के आदेश के बाद भी देर से एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए किसी भी निजी नर्सिंग कॉलेज ने अनियमित बैच नहीं बनाई है. पिछले सत्र 2023-24 के लिए इस साल 29 फरवरी तक एडमिशन हुआ था. इसमें पिछले साल 31 अक्टूबर के बाद हुए एडमिशन के लिए अनियमित बैच बनाने को कहा गया था. साथ ही इसकी पढ़ाई अलग से कराने को कहा गया था. आईएनसी ने पिछले सत्र में एडमिशन के लिए तीसरी बार तारीख बढ़ाई थी. 31 अक्टूबर के बाद 30 नवंबर, फिर सवा दो माह के विराम के बाद अचानक 29 फरवरी एडमिशन की आखिरी तारीख तय की गई थी. पिछले दो साल से अनियमित बैच बनाने के आदेश का पालन प्रदेश में नहीं हो रहा है. प्रदेश में बीएससी की 7216 सीटें हैं. 25 फीसदी कॉलेजों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है. आईएनसी ने सबसे पहले 31 अक्टूबर, फिर 30 नवंबर तक प्रवेश की तारीख बढ़ाई थी. तब उन्होंने डीएमई को पत्र लिखकर सत्र में देरी का हवाला देते हुए फिर से प्रवेश के लिए तारीख बढ़ाने से इनकार कर दिया था.
विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर, नवंबर में प्रवेश ले चुके छात्र-छात्राओं के साथ फरवरी में प्रवेश लेने वाले कैसे कोर्स की बराबरी करेंगे. गौरतलब है कि अक्टूबर में प्रवेश की तिथि बढ़ने के बाद कुछ मामलों को लेकर निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिशन में घमासान मचा था. यही नहीं, जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने के बावजूद बीएससी की 900 से ज्यादा सीटें खाली रह गईं. पिछले पांच सालों में यह सबसे कम खाली रहने वाली सीटें हैं. पिछले कुछ सालों से ऐसा एडमिशन हो रहा है.
अनियमित बैच के लिए परीक्षा
अलग कराने पर दिक्कत: अनियमित बैच के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय हैल्थ एंड आयुष विवि अलग से परीक्षा भी नहीं कर सकता. विवि के अधिकारियों का कहना है कि इसमें तकनीकी पेंच है. एक ही परीक्षा दो बार नहीं कराई जा सकती. इसमें स्टाफ के साथ संसाधन की कमी पड़ेगी. यही नहीं, अनियमित बैच में छात्राओं की संख्या कम होती है. ऐसे में दो बार परीक्षा कराने पर दिक्कत होगी.
61 अपात्र छात्रों को दे दिया प्रवेश इसमें सभी छात्राएं निजी कॉलेजों के
बीएससी नर्सिंग में जीरो परसेंटाइल से प्रवेश के बाद भी निजी कॉलेजों ने 61 अपात्र छात्राआों को प्रवेश दे दिया. चिकित्सा शिक्षा विभाग इसे रद्द कर दिया है. तत्कालीन डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने जीरो परसेंटाइल से प्रवेश की मांग को ठुकरा दिया था. उन्होंने शासन के एक आदेश का हवाला दिया था, जिसमें जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने से नर्सिंग की क्वालिटी पर असर पड़ने की बात कही गई थी. इसके बाद कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन ने डीएमई के पत्र को परे रखते हुए शासन की अनुमति पर जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने की मंजूरी दे दी. सभी 2960 सीटें अनारक्षित थीं इसलिए 50 फीसदी अंक जरूरी तीन काउंसिलिंग के बाद भी सीटें खाली रहने पर बची 2960 सीटें अनारक्षित कर दी गई थीं. इसमें जनरल केटेगरी की छात्राओं को 12वीं में 50 फीसदी अंक अनिवार्य था. प्री नर्सिंग टेस्ट में जीरो परसेंटाइल के बाद भी एडमिशन तय था, लेकिन वे बारहवीं के नंबर के आधार पर पिछड़ गईं. कॉलेजों ने ऐसी छात्राओं को जान बूझकर प्रवेश दिया.