
बीते 30 सालों में अमेरिका में मांसाहार छोड़कर शाकाहार अपनाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है. इसमें भी पुरुषों की तुलना में महिलाएं आगे रही हैं. साइकोलॉजी टुडे में लेखक हल हरजोग ने दो अध्ययनों का जिक्र करते हुए महिलाओं और पुरुषों के शाकाहार का चुनाव करने के अलग-अलग कारणों के बारे में भी बताया. पहले अध्ययन में 13000 छात्र-छात्राओं के आहार चुनाव में आए बदलाव की पड़ताल की गई. इसके अनुसार, छात्राओं में शाकाहार 4.3 से बढ़कर 8 प्रतिशत हुआ है. वहीं मांसाहार छोड़कर शाकाहार चुनने वाले छात्रों का प्रतिशत 2.5 से कम होकर 1.8 प्रतिशत देखने को मिला.
दूसरे अध्ययन में 121 पुरुष और 239 महिलाओं से शाकाहार को चुनने के उनके प्रमुख कारणों के बारे में पूछा गया, जिसमें उन्हें नैतिक कारण, पर्यावरणीय कारण और सेहत संबंधी कारणों के विकल्प दिए गए थे. अध्ययन के अनुसार, 46 महिलाओं व 30 पुरुषों ने नैतिक कारणों की वजह से शाकाहार चुना. वहीं पर्यावरण हित को 30 प्रतिशत पुरुषों ने और 15 प्रतिशत महिलाओं ने अपने चुनाव का आधार बताया.
बात महज आहार के चुनाव की नहीं है. शोधकर्ताओं के अनुसार, पुरुषों की तुलना में पशु कल्याण व देखभाल कार्यों में भी महिलाओं की उपस्थिति अधिक देखने को मिलती है. पशु अधिकारों से जुड़े आंदोलनों में भी महिलाएं अधिक भाग लेती हैं. पशु देखभाल के कामों के लिए दान भी महिलाएं ही अधिक देती है. इतना ही नहीं, मानव व पशुओं केआपसी संबंधों की शाखा ‘एंथ्रोजूलॉजी’ से जु़ड़े शोध कार्यों में पुरुषों की तुलना में महिलाएं दस गुणा अधिक हैं. हालांकि, शोधकों का कहना है कि यह अध्ययन छात्र-छात्राओं के आहार संबंधी चुनाव पर आधारित है. वयस्कों पर यही बात लागू होती है या नहीं, यह अस्पष्ट है. इस संबंध में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है.