
प्रयागराज से लेकर महाकुम्भ मेले तक जाम ने परेशानी बढ़ा दी है. किसी की फ्लाइट तो किसी की ट्रेन छूट जा रही है. हवाई यात्रा करने वाले एक श्रद्धालु को लेकर कार चालक शनिवार सुबह चार बजे मेला क्षेत्र से एयरपोर्ट के लिए निकला, लेकिन वह शहर में प्रवेश नहीं कर सका. नतीजा श्रद्धालु की फ्लाइट छूट गई.
यह हाल सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं है, जाम में फंसने वाले श्रद्धालुओं की ट्रेन और फ्लाइट लगातार छूट रही है. उन्हें अपना टिकट कैंसिल कराना पड़ रहा है. पिछले एक महीने में प्रयागराज से लगभग 19 लाख यात्रियों ने टिकट आरक्षित कराया था, इनमें से लगभग साढ़े चार लाख यात्रियों ने अपना कंफर्म टिकट निरस्त कराया. इनमें काफी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जिन्हें जाम की वजह से ऐसा करना पड़ा.
एक ट्रेवल एजेंट के कार चालक अरविंद मिश्र ने बताया महाकुम्भ नगर के सेक्टर पांच में नागपुर से एक श्रद्धालु आए थे. शनिवार सुबह आठ बजे उनकी फ्लाइट थी. भोर में ही वह कार लेकर उनके शिविर में पहुंच गए. सुबह चार बजे वह श्रद्धालु को लेकर एयरपोर्ट छोड़ने के लिए चला. अरविंद की मानें तो उस वक्त सभी पांटून पुल बंद मिले.
जाम में घंटों फंसे रहगए कई श्रद्धालु
भीषण जाम, जगह-जगह बैरिकेडिंग की वजह से लोगों को सड़क पर सवारी वाहन तक नहीं मिल रहे हैं. नैनी के राकेश तिवारी व झूंसी के मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार की शाम हवाई अड्डे पर नहीं पहुंच सके. उधर, प्रीतमनगर के अनुपम राय व दारागंज के मनोहर तिवारी ने बताया कि उनकी ट्रेन छूट गई.
महाकुम्भ में शनिवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. माघ महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संगम में स्नानार्थियों की संख्या एक करोड़ पार कर गई. सुबह से स्नान का जो सिलसिला शुरू हुआ तो दिन चढ़ने के साथ बढ़ता ही गया. माना जा रहा है कि इसका सबसे बड़ा कारण एकादशी है. इसे जया एकादशी भी कहते हैं.
जया एकादशी पर त्रिवेणी स्नान का बहुत महत्व है. दोपहर दो बजे तक ही 97 लाख 14 हजार श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगा ली थी. रात आठ बजे तक स्नान करने वालों की संख्या बढ़कर 1.32 करोड़ पहुंच गई. इसके साथ ही महाकुम्भ में अब तक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 42 करोड़ हो गई है.
प्रयागराज जंक्शन हो या फिर सिविल लाइंस बस अड्डा, फाफामऊ पुल हो या फिर शास्त्रत्त्ी और नैनी ब्रिज. शनिवार सुबह जो हुजूम हर ओर से संगम की ओर बढ़ता दिखा तो दिनभर आता ही रहा. सुबह नौ बजे संगम नोज पूरी तरह से भर जाने के बाद प्रशासन को एक बार फिर जोनल प्लान लागू करना पड़ा. तिकोनिया और जीटी जवाहर चौराहे से वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से रोक दिया गया और पैदल यात्रियों को रोक-रोक कर मेले में भेजा गया.
वहीं, काली मार्ग से भीड़ को शास्त्रत्त्ी ब्रिज के नीचे डायवर्ट कर दारागंज की ओर भेजना शुरू कर दिया गया. लाउड स्पीकर पर एनाउंसमेंट शुरू हुआ कि संगम नोज पूरी तरह से भर गया है और श्रद्धालु अपने करीब के घाट पर ही पुण्य की डुबकी लगाएं. लोग दारागंज गंगा तिराहे के रास्ते जब गंगा पथ से संगम की ओर बढ़े तो बांध पार कर शास्त्रत्त्ी ब्रिज से पहले पुलिस और सीआरपीएफ ने रस्सी की बैरिकेडिंग कर लोगों को पांटून पुल से झूंसी की ओर जाने के लिए कहा. इस दौरान श्रद्धालु संगम की ओर जाने की जिद्द करते रहे, लेकिन सभी को बताया गया कि भीड़ का दबाव अत्याधिक होने से किसी को संगम जाने की अनुमति नहीं है. दोपहर दो बजे तक जैसे-जैसे घाट खाली हुआ तो रोक-रोककर श्रद्धालुओं को संगम की ओर भेजा जा रहा था. शाम चार बजे जब मेला क्षेत्र से निकलने वाले रास्तों पर श्रद्धालुओं की संख्या अधिक हुई तो रास्तों से बैरिकेडिंग को हटाया गया.