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11 वर्ष की उम्र से ही फेंकने लगे भालास्वर्ण से पद्मश्री तक का शानदार सफर

नीरज चोपड़ा, एक ट्रैक और फील्ड एथलीट, ने भाला फेंक (जेवलिन थ्रो) में अपनी प्रतिभा से विश्व पटल पर भारत का नाम रोशन किया है। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक 2020 में 87.58 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। लोगों के बीच वह ‘गोल्डन बॉय’ के उपनाम से जाने जाते हैं। मार्च 2022 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। कई चुनौतियों को पार कर नीरज ने भारतीय खेल इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराया।
धमाकेदार शुरुआत
चोपड़ा ने भाला फेंक में जल्द ही अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी। 2016 में उन्होंने पोलैंड में वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर विश्व रेकॉर्ड बनाया। इस समान को हासिल करने वाले पहले भारतीय बने।
संयोग: नीरज का एथलेटिक्स में सफर 11 साल की उम्र में शुरू हुआ। पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में उन्होंने कुछ एथलीट्स को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा, वे इस ओर आकर्षित हो गए।
भारतीय सेना में नौकरी: 2016 में साउथ एशियन गेस में उनके प्रदर्शन के बाद उन्हें राजपूताना राइफल्स में जूनियर कमीशंड ऑफिसर की नायब सूबेदार का रैंक दी गई।
जीवन में चुनौतियां
उनका जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत के खंडरा गांव में हुआ। नीरज ने चंडीगढ़ से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। बचपन में उनका वजन ज्यादा था, जिसके कारण उनका मज़ाक भी उड़ता था। पिता ने उन्हें जिम भेज दिया।

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