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आज से लगेगी अमावस्या तिथि, 19 और 20 नवंबर दोनों दिन अमावस्या

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या आज और कल दोनो दिन है। परम्परा के अनुसार इस दिन श्रद्धालुओं अपने पितरों का तर्पण करते हैं। पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि बुधवार सुबह 9:43 बजे से शुरू होकर गुरुवार दोपहर 12:16 बजे समाप्त होगी। ऐसे में दोनों दिन अमावस्या तिथि है। आज श्राद्ध और कल स्नान दान की अमावस्या है। उदयातिथि के अनुसार गुरुवार को ही मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जाएगी। शास्त्रो की मानें तो अमावास्याके तीन विभाग हैं–सिनीवाली, दर्श और कुहू। चतुर्दशी का अन्तिम प्रहर और अमावास्या के 8 प्रहर इस प्रकार यह नौ प्रहर का समय चन्द्रमा के क्षय का काल माना गया है। इनमें से पहले दो प्रहरों में चन्द्रमा की कला विराजमान रहती है, तो ऐसी अमावस्या को अतः उसे सिनीवाली कहते हैं। जिसमें चन्द्रमाकी कला देखी जाती है, जिसमें चन्द्रमाकी कलाका सर्वथा क्षय हो जाता है, वह चतुर्दशीयुक्त अमावास्या कुहू मानी गयी है। जब चंद्रमा पूरी तरह अदृश्य होता है, तो इसे दर्श अमावस्या कहते हैं। अगर आप श्राद्धक्रम कर रहे हैं, तो श्राद्धकर्म में सिनीवाली अमावास्या को ही मानना चाहिए।

अमावस्या पर श्राद्ध कर्म का महत्व
आपको बता दें कि वैसे तो हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण करना चाहिए, लेकिन मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन स्नान-दान करना, पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना अति लाभकारी माना गया है। विधिपूर्वक पूजन के बाद तर्पण के लिए सबसे पहले हाथों में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं गृह्णन्तु जलान्जलिम मंत्र का उच्चारण कर जलांजलि ग्रहण की जाती है।

अमावस्या पर स्नान और दान क्या करें

मार्गशीर्ष महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा फलदायी है। आज श्राद्ध की अमावस्या रहेगी और कल स्नान दान की अमावस्या रहेगी, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन स्नान और दान का कई गुना फल मिलता है। गुरुवार की सुबह स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 05.06 बजे से सुबह 06.52 बजे तक है। इस दिन गंगा, यमुना में स्नान, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र, स्वर्ण आदि दान का विशेष महत्त्व माना गया है।

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