छत्तीसगढ़ के बस्तर में शांति स्थापना और विकास की दिशा में एक बड़ी सफलता मिली है। शासन की महत्वाकांक्षी पहल ‘पूना मारगेम – पुनर्वास पुनर्जीवन’ से प्रभावित होकर 37 नक्सलियों ने दंतेवाड़ा में आत्मसमर्पण किया है। इनमें से 65 लाख रुपए के कुल 27 ईनामी भी शामिल है जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
डीआरजी कार्यालय दंतेवाड़ा में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में सभी माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इस अवसर पर बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. समेत अन्य अधिकारियों ने आत्मसमर्पित नक्सलियों का स्वागत करते हुए कहा कि, पूना मारगेम बस्तर में स्थायी शांति, सम्मान और समावेशी विकास का एक सशक्त माध्यम बन चुका है।
नक्सली कई हमलों में रहे हैं शामिल
आत्मसमर्पित माओवादियों में कई बड़े ईनामी सदस्य शामिल हैं। कंपनी नंबर-06 और 10 के सक्रिय सदस्य, एरिया कमेटी के पदाधिकारी, मिलिशिया कमांडर, केएएमएस/केएमएस अध्यक्ष, जनताना सरकार के जिम्मेदार कैडर सहित 37 नक्सली लंबे समय से पुलिस को वांछित थे। इनमें से कई 2019 के भैरमगढ़-केशकुतुल मुठभेड़, 2020 के मिनपा हमले और 2024 में गोबेल और थुलथुली के जंगलों में हुई मुठभेड़ों में शामिल रहे।
पहले भी 508 ईनामी नक्सली कर चुके हैं समर्पण
पिछले 20 महीनों में दंतेवाड़ा जिले में 165 ईनामी सहित 508 से अधिक माओवादी आत्मसमर्पण कर चुके हैं। वहीं लोन वर्राटू अभियान की शुरुआत से अब तक 333 ईनामी समेत कुल 1160 माओवादी हिंसा छोड़ मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। इनमें बस्तर, बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिलों के 916 पुरुष एवं 244 महिला माओवादी शामिल हैं।
मुख्यधारा से जुड़कर काम करने की अपील
जिला प्रशासन और पुलिस ने माओवादियों से अपील की है कि, वे हिंसा का मार्ग त्यागकर समाज और परिवार की जिम्मेदारियों को समझें तथा शांति, पुनर्वास और सम्मान की राह चुनें। अधिकारियों ने दोहराया कि ‘पूना मारगेम सभी के लिए लौटने का अवसर है’ और दंतेवाड़ा पुलिस संवाद, अवसर और संवेदना के साथ उन्हें समाज में पुनर्स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
आत्मसमर्पण कराने में डीआरजी समेत कई टीमों का रहा योगदान
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, आत्मसमर्पण कराने में डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, विशेष शाखा, 111वीं एवं 230वीं बटालियन सीआरपीएफ और आरएफटी की टीमों का विशेष योगदान रहा। शासन की पुनर्वास नीति के तहत प्रत्येक माओवादी को 50 हजार रुपए की तात्कालिक सहायता राशि दी जाएगी, साथ ही आगे स्किल डेवलपमेंट प्रशिक्षण, कृषि भूमि और आजीविका के अन्य अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।



















