बिलासपुर। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सक्ती के धर्मेंद्र सिंह उर्फ धर्मेंद्र सिदार को छेड़खानी और दुष्कर्म की कोशिश के आरोप से बरी करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद कर दिया है। ट्रायल कोर्ट ने अलग-अलग धाराओं में राजा धर्मेंद्र सिंह को पांच और सात साल की सजा सुनाई थी, इसके अलावा जुर्माना भी किया था।
ट्रायल कोर्ट के फैसले के बाद वे जेल में बंद है, मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने दोनों आरोप से उसे बरी कर दिया है। कोर्ट ने जेल में बंद याचिकाकर्ता राजा धर्मेंद्र सिंह की रिहाई का आदेश दिया है। बीएनएसएस, 2023 की धारा 415 (2) के तहत धर्मेंद्र सिंह उर्फ धर्मेंद्र सिदार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एफटीसी), सक्ती, जिला सक्ती द्वारा 21 मई 2025 को पारित आदेश को चुनौती दी है।ट्रायल कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 450 के तहत चूक की शर्त के साथ पांच वर्ष का कठोर कारावास तथा 5000 रुपये का जुर्माना धारा 376 (1) के तहत सात वर्ष का कठोर कारावास और 10000 रुपये का जुर्माना किया था। ट्रायल कोर्ट ने दोनों सजाओं को एकसाथ चलाने का निर्देश दिया था। पीड़िता ने ट्रायल कोर्ट के फैसले के बाद सजा की अवधि को बढ़ाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। दोनों मामले एक प्रवृति के होने के कारण डीबी ने एकसाथ सुनवाई की थी।
फैसले को दी थी चुनौती
ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपने आपको निर्दोष बताया। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे संपत्ति, गोद लेने और उत्तराधिकार से संबंधित लंबे समय से चले आ रहे पारिवारिक विवादों के कारण झूठा फंसाया गया है। सक्ती के युवराज के रूप में उनके राज्याभिषेक के बाद से, उसके खिलाफ झूठी शिकायतों की एक श्रृंखला दर्ज की गई है।



















