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आईजी पंजीयन ने कहा-गाइडलाइन दरों में पुनरीक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन की नई गाइडलाइन दरों में भारी वृद्धि का जमकर विरोध हो रहा है। कारोबारी, बिल्डर और सत्तापक्ष-विपक्ष के नेता गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जमीन की गाइडलाइन दरों में फिलहाल पुनरीक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं है। महानिरीक्षक (पंजीयक) पुष्पेंद्र कुमार मीणा ने ‘नवभारत’ को बताया कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर गाइडलाइन दरों में त्रुटियों की शिकायत का परीक्षण किया जा रहा है, लेकिन पुनरीक्षण का कोई प्रस्ताव नहीं है। शासन से भी इस संबंध में कोई निदेशा-निर्देश नहीं है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 20 नवंबर से जमीन की गाइडलाइन दरों में भारी बढ़ोतरी की है। शहरी क्षेत्र में 20 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 400 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है। पंजीयन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की गाइडलाइन दरों का वैज्ञानिक व तर्कसंगत पुनरीक्षण किया गया है। गाइडलाइन दर में वर्ष 2017-18 के बाद से किसी प्रकार का संशोधन नहीं हुआ था। इस कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में भारी अंतर पैदा हो गया था। पिछले सात वर्षों में बने नए हाईवे, कॉलोनी, औद्योगिक क्षेत्र आदि की दरें निर्धारित नहीं थीं। नई दरों से किसानों-भूमिस्वामियों को उनकी भूमि का अधिक व न्यायसंगत मुआवजा मिलेगा। संपत्ति के विरुद्ध बैंक से अधिक राशि का लोन स्वीकृत होगा। वहीं, नई गाइडलाइन दरों का प्रदेशभर में भारी विरोध-प्रदर्शन भी किया जा रहा है। बिल्डरों ने कुछ दिन पहले वाणिज्यकर मंत्री ओपी चौधरी से मुलाकात कर गाइड लाइन दरों में संशोधन के लिए सुझाव भी दिए थे, लेकिन इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बताया जा रहा है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में भी इस पर चर्चा हो सकती है।

रोजाना एक से डेढ़ हजार रजिस्ट्री

पंजीयन विभाग के अधिकारियों की मानें तो नई गाइडलाइन दरें लागू होने के बाद भी बड़ी संख्या में जमीन रजिस्ट्री हो रही है। प्रतिदिन औसत एक से डेढ़ हजार रजिस्ट्री हो रही है। हालांकि पहले की तुलना में रजिस्ट्री की संख्या काफी कम है। गाइडलाइन दरों में वृद्धि के कारण रजिस्ट्री के लिए चार से पांच गुना अधिक स्टाम्प व पंजीयन शुल्क देना पड़ रहा है। इससे जमीन खरीदने-बेचने वालों में आक्रोश है।

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