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अमेरिका ने पैक्स सिलिका समझौते से भारत को रखा दूर

नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए आवश्यक खनिजों (रेयर अर्थ) पर चीन की बादशाहत खत्म करने के लिए अमेरिका ने पैक्स सिलिका के नाम से अंतरराष्ट्रीय समझौता किया है। इस समझौते में अमेरिका ने क्वाड के दो सदस्यों जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इजरायल को तो शामिल किया है, मगर भारत को इससे दूर रखा है। विशेषज्ञ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं। उनका मानना है कि ट्रंप भारत-अमेरिका संबंधों को खत्म करने पर तुले हैं। गौरतलब है कि वर्तमान में एआई के लिए उपयोग रेयर अर्थ पर चीन का एकतरफा दबदबा है। वह रेयर अर्थ के खनन और आपूर्ति के करीब 70 फीसदी हिस्से को नियंत्रित करता है। अमेरिका इस समझौते के जरिए

इसलिए उठ रहे सवाल

यह समझौता उन देशों को एकजुट करने की कोशिश है जहां दुनिया की उन्नत कंपनियां स्थित हैं। भारत इन मानदंडों पर खरा उतरता है। हाल ही में भारत ने अमेरिका के साथ 10 वर्षीय रक्षा ढांचा समझौते पर हस्ताक्षर किया है। सैन्य सहयोग और तकनीकी क्षेत्र में परस्पर सहयोग केलिए अमेरिकी कंपनी इंटेल और टाटा ग्रुप ने भारत में सेमीकंडक्टर के निर्माण के लिए समझौता किया है।

चीन की बादशाहत को चुनौती देना चाहता है। इसके अलावा अमेरिका की रणनीति क्वाड के जरिए दक्षिण चीन सागर में चीन की चुनौतियों को खत्म करने की भी रही है, जिसका भारत भी हिस्सा है। हैरान करने वाला फैसला बताया

पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने इसे बताया। उन्होंने कहा कि इस समझौते में भारत को छोड़ कर क्वाड के दो सदस्य शामिल हैं। ऐसा लगता है कि ट्रंप भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को खत्म करने पर तुल गए हैं। इससे एक पार्टनर के तौर पर अमेरिका की विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई है।

सिब्बल ने कहा कि बीते साल अक्तूबर ने दोनों देशों ने जरूरी मिनरल्स आपूर्ति चेन को बढ़ाने और उसमें विविधता लाने के लिए नए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्येश्य दोनों देशों की पूरक ताकतों का इस्तेमालम कर जरूरी मिनरल्स सेक्टर में ज्यादा मजबूती लाना था। इस बीच अमेरिका का भारत को नजरअंदाज करने का रवैया हैरान करने वाला है।

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