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बालकृष्णा: डेढ़ करोड़ का इनामी वो नक्सली, जिसे MLA की जान के बदले मिली थी जेल से आजादी, ऐसे मारा गया

Gariyaband Naxal Encounter News: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में कुल्हाड़ी घाट की पहाड़ियों पर एक साल के भीतर पुलिस ने दूसरी सबसे बड़ी सफलता हासिल की है. 11 सितंबर को कुल्हाड़ी घाट में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बल के जवानों ने 10 नक्सलियों को मार गिराया. इनमें सबसे ज्यादा चर्चित डेढ़ करोड़ का इनामी मोडम बालकृष्णा रहा. प्रतिबंधित माओवाद संगठन के केंद्रीय समिति के सदस्य बालकृष्णा पर अलग-अलग राज्यों में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का इनाम घोषित था.

बालन्ना, मनोज, भास्कर समेत कई नामों से पहचाना जाने वाला बालकृष्णा के बारे में बहुत सीमित लोग जानते हैं कि जंगलों में खुलकर दहशत कायम करने की आजादी उसे एक विधायक की जान के एवज में मिली थी. घटना 90 के दशक की है. नवंबर 1989 से दिसंबर 1990 तक आंध्र प्रदेश में चेन्ना रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में थी.

टीडीपी के विधायक को किडनैप कर रखी मांगें

90 के दशक में आंध्र प्रदेश में तेजी से विस्तार कर रहे नक्सल संगठन ने बड़ी घटना को अंजाम दिया. तब राज्य में विपक्षी दल तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के विधायक मंडावा वेंकटेश्वर राव का नक्सलियों ने अपहरण कर लिया. विधायक को रिहा करने के एवज में नक्सलियों ने कई बड़ी मांगें सरकार के सामने रख दीं. इन मांगों में एक मांग यह भी थी कि आंध्र प्रदेश की जेलों में बंद उनके साथियों को रिहा कर दिया जाए. 

सरकार ने विपक्षी विधायक को छुड़ाने के लिए मांग स्वीकार की

हालांकि, तब चेन्ना रेड्डी की सरकार नक्सलियों की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन अपहरण किए गए मंडावा वेंकटेश्वर राव की पत्नी ने अपने पति को छुड़ाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी. इस हड़ताल के बाद चेन्ना रेड्डी की सरकार ने विपक्षी दल के विधायक को छुड़ाने के लिए नक्सलियों की इस बड़ी मांग को स्वीकार कर लिया.

बालकृष्णा भी जेल से छूटा

विधायक की जान बख्श देने एवज में जिन नक्सलियों को जेल से आजादी मिली उसमें से एक बालकृष्णा भी था. जेल से रिहा होने के बाद बालकृष्णा आंध्र प्रदेश छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में लंबे समय से सक्रिय था. पिछले कुछ सालों से छत्तीसगढ़ और उड़ीसा सीमा पर संगठन के विस्तार की बड़ी जिम्मेदारी बालकृष्णा पर ही थी.

उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा पर IED प्लांट करना, हिंसात्मक घटनाओं के लिए हथियार उपलब्ध कराने और बड़ी वारदातों के लिए इनपुट के लिए संगठन बालकृष्णा के नेटवर्क पर निर्भर था. यही कारण है कि बालकृष्णा को मार गिराने को सुरक्षा बल के जवान बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं.

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