रायपुर। विद्युत अधिनियम 2003 के नियम 56 के अनुसार बिजली बिल नहीं चुकाने वालों को 15 दिन का नोटिस देना है। नोटिस के बाद भी बिल नहीं चुकाने पर कनेक्शन काटने का अधिकार है। इधर 34 सरकारी विभागों का 3100 करोड़ रुपए का बिजली बिल बकाया है। इन्हें एक दो नहीं बल्कि 1-1 दर्जन नोटिस दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद कनेक्शन काटने की किोशश भी नहीं हो सकी है। यानी की ये पावर सिर्फ दिखावे का है। गौर करने वाली बात यह है कि सरकारी विभाग बकाया जमा नहीं करता। इससे सबसे बड़ा नुकसान आम लोगों का है। विद्युत विनियामक आयोग के पूर्व सचिव पीएन सिंह ने बताया कि साल के अंतिम में विद्युत कंपनी मुनाफा व खर्च जोड़ती है। सरकारी विभागों का बिल नहीं आने की वजह से नुकसान होता है। इस नुकसान को दूर करने बैंक से कर्ज लिया जाता है। इस कर्ज पर तकरीबन 9 फीसदी ब्याज लगता है। अब इस ब्याज की कीमत वसूलने टैरिफ में बढ़ोतरी की जाती है। बाद में आम लोगों को प्रति टैरिफ उपयोग करने के बदले में पहले की अपेक्षा ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। डीबी स्टार ने दर्जनों अफसरों से बातचीत की। ऑफ द रिकॉर्ड सभी ने स्वीकार किया कि राजनीतिक दबाव के चलते कनेक्शन नहीं काटे जा सकते हैं। ऐसा किया तो ट्रांसफर तय है।
बकाया राशि नहीं वसूली तो होगा एक और बड़ा नुकसान
विद्युत विभाग की ओर से बकाया राशि की समय पर वसूली नहीं की जा सकी तो आरडीएसएस योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी संकट में आ सकती है। केन्द्र की शर्ते है कि आरडीएस समय पर काम व वसूली होने पर विभाग को छूट दी जाएगी। नहीं तो यह राशि लोन में परिवर्तित हो सकती है। ये राशि करीब 700 करोड़ के आस-पास की है।
प्रीपेड मीटर पहले सरकारी कार्यालयों से
विभागीय अफसरों का कहना है कि सबसे पहले प्रीपेड मीटर की सुविधा सरकारी कार्यालयों में शुरू होगी। अभी इनका 31 सौ करोड़ बकाया है। ऐसे में अब सवाल ये आ रहा है कि बिना राशि जमा किए क्या इन्हें स्मार्ट मीटर की सुविधा दी जाएगी।
आम लोगों द्वारा बिल जमा नहीं करने पर कनेक्शन काट रहे
पिछले 4-5 साल के आंकड़ों की बात करें तो पूरे छत्तीसगढ़ में 2700 से ज्यादा कनेक्शन काटे गए क्योंकि इन्होंने बिजली बिल नहीं चुकाया। इनमें से ज्यादातर आम उपभोक्ता थे। कार्रवाई बिजली कनेक्शन काटे जाने तक सीमित नहीं होती है। नए कनेक्शन के लिए आम लोगों को एरिया आऑफिस के चक्कर भी काटने पड़ते हैं। ये पावर सिर्फ आम लोगों पर कार्रवाई करने के लिए है।
पर्याप्त बजट नहीं, बेहिसाब बिजली उपयोग कर रहे विभाग
नोटिस के बाद कई सरकारी विभाग तो जवाब ही नहीं देते। यानी की साल के पूरे दिन बेहिसाब बिजली का उपयोग करते हैं। जवाब देने वाले ज्यादातर विभागों का तर्क होता है कि बजट की कमी है। बजट मिलते ही राशि अदा कर दी जाएगी। लेकिन ये सिलसिला सिर्फ एक साल का नहीं होता है। बल्कि दर्जनों ऐसे विभाग हैं जिन्होंने बीते 4-5 साल से बिजली बिल नहीं चुकाया है। जो अब धीरे-धीरे करोड़ों रुपए में बदल चुका है।
विभाग
राशि (करोड़ रुपए)
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
643.57
नगरीय निकाय बकाया
1935.43
स्कूल शिक्षा विभाग
84.10
उच्च शिक्षा विभाग
5.75
चिकित्सा विभाग
4564
जल संसाधन
26.43
गृह विभाग
37.65
आदिम जाति एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
24.73
राजस्व विभाग
12.66
महिला एवं बाल विकास विभाग
25.33
वन विभाग
9.56
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
99.53
कृषि विभाग
3.76
आवास विभाग एवं पर्यावरण विभाग
20.52
पशुपालन विभाग
2.81
कौशल विकास उद्यमिता रोजगार विभाग
3.35
विधि एवं विधायी कार्य विभाग (कोर्ट आदि)
1.63
प्रौद्योगिकी/प्रमोद्योग
0.33
परिवहन विभाग (आरटीओ)
1.34
उद्यानिकी विभाग
0.52
मत्स्य पालन विभाग
3.14
सहकारिता विभाग
15.00
लोक निर्माण विभाग
1.36
जेल विभाग
0.40
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
0.74
वाणिज्यकर एवं आबकारी विभाग
0.79
उद्योग विभाग
0.22
श्रम विभाग
0.55
ऊर्जा विभाग
0.37
संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग
1.13
खेल एवं युवा कल्याण विभाग
0.28
खनिज संसाधन विभाग
1.44
पर्यटन विभाग
8.21
राज्य शासन के अन्य विभाग
3022.10



















