रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही उत्तर भारत में गेहूं की बुआई का दौर शुरू हो चुका है। किसान वैज्ञानिक विधियों- जैसे सही मिट्टी प्रबंधन, सीड ड्रिल से बुआई और संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें, तो वे गेहूं की पैदावार में 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर सकते हैं। साथ ही, एआई आधारित फसल निगरानी, ड्रोन से छिड़काव, सेंसर युक्त सिंचाई प्रणाली और सटीक कृषि तकनीकें अपनाकर किसान फसल उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं। इससे श्रम और लागत में भी कमी आती है। जो किसान गेहूं की जल्दी बुआई करना चाहते हैं, वे अगेती किस्में- जैसे डब्ल्यूबीआर-187, 303, 327, 2967 का चयन करें। देर से बोई जाने वाली किस्मों के लिए 25 नवंबर के बाद का समय उपयुक्त माना जाता है।
खेत की तैयारी से करें शुरुआत
यूपी के शाहजहांपुर स्थित केवीके के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एन.सी. त्रिपाठी बताते हैं कि गेहूं की अच्छी फसल की शुरुआत खेत की तैयारी से होती है। धान की कटाई के बाद खेत में बची पराली को जलाने की बजाय उसे मल्चर, कल्टीवेटर या हैरो से अच्छी तरह मिलाकर सड़ा दें। खेत में पानी भरकर उसमें 10-15 किलो यूरिया प्रति एकड़ या डिकम्पोजर का प्रयोग किया जा सकता है।
बुआई का सही समय और तरीका
गेहूं की बुआई का उपयुक्त समय अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के अंतिम सप्ताह तक माना जाता है। बुआई सीड ड्रिल मशीन से ही करनी चाहिए, क्योंकि इससे बीज और उर्वरक दोनों समान गहराई में पड़ते हैं। इससे पौधे पोषक तत्व सही ढंग से अवशोषित कर पाते हैं। जबकि, छिड़काव करने से बीज खेत में असमान रूप से गिरते हैं, जिससे उर्वरकों की दक्षता घट जाती है।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
बुआई के 20-25 दिन बाद, जब फसल में जड़ें बनना शुरू होती हैं, तो पहली सिंचाई अवश्य करें। फसल लगभग 30-35 दिन की होने पर खरपतवार नियंत्रण जरूरी है। उपयुक्त खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग करें, ताकि गुल्ली डंडा जैसे खरपतवार फसल को नुकसान न पहुंचा सकें।
बुआई के समय सीड ड्रिल से दें फॉस्फोरस
मिट्टी परीक्षण के आधार पर पोषक तत्वों का उपयोग करें। धान या गन्ने की फसल के बाद गेहूं की बुआई के लिए खेत तैयार करते समय 150 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फॉस्फोरस और 40 किग्रा पोटाश प्रति हेक्टेयर दें। 10 किग्रा जिंक प्रति एकड़ खेत में मिलाएं। सीड ड्रिल से पौधों को फॉस्फोरस सही मात्रा में मिलता है। बुआई के समय फॉस्फोरस सीड ड्रिल के पहले बॉक्स में डालें, ताकि यह बीज के पास मिट्टी में पहुंचकर पौधों को मिलता रहे।
– डॉ. एन.सी. त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक
बीज उपचार है बेहद जरूरी
किसान यदि बीज भंडार से बीज नहीं खरीद रहे हैं और पुराने बीज दोबारा उपयोग कर रहे हैं, तो उसे उपचारित करना जरूरी है। एक किलो बीजों के उपचार के लिए लगभग 2.5 ग्राम कार्बेडाजिम दवा का उपयोग करें। प्रति एकड़ बुआाई के लिए लगभग 40 किग्रा बीज की आवश्यकता होती है। ऐसे में, कुल 100 ग्राम कार्बेडाजिम पर्याप्त होगा। इससे बीज जनित रोगों से फसल की सुरक्षा होती है।
नई रिसर्च: टिकाऊ खेती के लिए अतीत की ओर वापसी
प्राकृतिक रूप से उगने वाली पुरातन फसलें सिर्फ आनुवंशिक विरासत नहीं हैं, बल्कि वे मिट्टी को पुनर्जीवित करने वाली प्राकृतिक साझेदार हैं, जो जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों के बीच एक नई उम्मीद जगा रही हैं। एक नए अध्ययन में पता चला है कि पुरातन पौधे मिट्टी के भीतर विविध सूक्ष्मजीवों को पोषित करते हैं, जो टिकाऊ खेती और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। कंगनी की प्रजाति की प्राकृतिक किस्मों पर फील्ड स्टडी के बाद वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं। यह अध्ययन, शोध पत्रिका *आईएसएमई कम्युनिकेशन्स* में प्रकाशित किया गया है। भारत के हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं सहित 11 देशों के 25 वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन किया।
– प्रोफेसर अप्पा राव पोडिले, शोधकर्ता, हैदराबाद विश्वविद्यालय
यह अध्ययन मिट्टी की उर्वरता और स्थिरता बढ़ाने के लिए प्रकृति आधारित समाधान खोजने की दिशा में नई राह खोल सकता है।
किचन गार्डन: गमले में सुगंधित पुदीना – स्वाद और सेहत की गारंटी
चटनी, सलाद, ठंडे पेय में स्वाद लाने के लिए पुदीना का इस्तेमाल जरूर होता है। पुदीना की ताजा पत्तियां आप हर मौसम में घर बैठे पा सकते हैं। इसके लिए अब आपको मौसम के भरोसे नहीं रहना पड़ेगा। थोड़ी-सी देखभाल के साथ आप इसे अपने किचन गार्डन में पूरे साल उगा सकते हैं। ताजा पुदीना एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है, जो पाचन को दुरुस्त और इम्यूनिटी को मजबूत करता है।
पुदीना को घर में खिड़की की रेलिंग या बालकनी में लटकते गमले में भी उगा सकते हैं, जिससे घर की शोभा बढ़ती है। पुदीना लगाने के लिए 70% बगीचे की मिट्टी, 20% गोबर खाद और 10% रेत का मिश्रण अच्छा संयोजन होता है। पुदीना को कटिंग से उगाना आसान है। ताजा पुदीना की 5-6 इंच लंबी शाखाएं लें और नीचे के पत्ते हटा दें। इन्हें साफ पानी में जड़ें आने तक लगभग एक हफ्ता रखें और फिर मिट्टी में लगा दें।
धूप और पानी का सही संतुलन
पुदीना के पौधे को ज्यादा धूप पसंद नहीं होती। इसे ऐसी जगह पर रखें, जहां हल्की धूप या छांव मिलती रहे। मिट्टी में हमेशा नमी बनाए रखें, लेकिन बहुत ज्यादा पानी न दें, इससे पौधे की जड़ों के सड़ने का खतरा रहता है। प्रत्येक 2-3 सप्ताह के अंतर पर पुदीने की पत्तियों की कटाई करते रहें। इससे पौधा नई शाखाएं बनाता है और हरा-भरा बना रहता है।



















