
दिल्ली. बिहार विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 4 महीने का वक्त बचा है और उससे पहले दोनों गठबंधन सीट शेयरिंग फाइनल कर लेना चाहते हैं. सत्ताधारी भाजपा-जेडीयू गठबंधन में इसे लेकर चर्चाएं शुरू हैं तो वहीं आरजेडी और कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ में सीट बंटवारे को लेकर तेजी दिख रही है. अलायंस पार्टनर चाहते हैं कि समय रहते सीटें फाइनल कर ली जाएं ताकि प्रचार में तेजी रहे और संबंधित दलों के नेता अपनी दावेदारी भी मजबूत कर सकें. हालांकि महागठबंधन में कांग्रेस को त्याग के लिए राजी करने की कोशिश है, जो थोड़ा मुश्किल होगा. कांग्रेस से 25 सीटों का त्याग करने को कहा जा सकता है. इसकी वजह यह है कि आरजेडी और महागठबंधन के अन्य दल चाहते हैं कि यादव और मुस्लिम से आगे भी एक मजबूत सामाजिक समीकरण बन जाए. इसके लिए यह जरूरी है कि कुछ नए साथियों को भी। गठबंधन में मौका मिले. आरजेडी की चिंता यह है कि उसका वोटबैंक पूरी तरह यादव-मुस्लिम गठजोड़ पर टिक गया है. ऐसे में इस बार कोशिश है कि मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को मौका दिया जाए और झारखंड में सरकार चला रही झामुमो को भी कुछ सीटें दी जाएं.
क्या कांग्रेस के बोझ से दबा महागठबंधन
चुनाव विश्लेषकों का कहना था कि कांग्रेस के बोझ से गठबंधन दब गया और उसे नुकसान हुआ है. इस बार चर्चा है कि कांग्रेस को 45 से 50 सीटों पर ही राजी करने की कोशिश होगी. आरजेडी से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘इंडिया ब्लॉक के साथी दलों ने एक-दूसरे को अपनी इच्छा जाहिर कर दी है. हमारी कोशिश है कि अलग-अलग सामाजिक वर्गों को साथ लिया जाए. दरअसल कांग्रेस को लेकर चिंता यह है कि अब अपर कास्ट उसके साथ पहले की तरह नहीं है, जबकि जिस ओबीसी, ईबीसी और अल्पसंख्यक को वह साथ लाने के लिए आक्रामक है, उसकी राजनीति तो आरजेडी ही कर रही है.