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कफ सिरप जरूरी नहीं, खांसी जुकाम में घरेलू नुस्खे कारगर

रायपुर. मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत डीजीएचएस ने दो साल तक के बच्चों को सिरप न देने की एडवाइजरी जारी की है। ऐसे में पेरेंट्स के साथ साथ डॉक्टर्स भी अलर्ट हो गए हैं। वहीं सवाल ये भी है कि सिरप की जगह बच्चों को क्या दिया जाए? इस पर सिटी के सीनियर पीडियाट्रिक का मानना है कि खांसी-जुकाम के केसेस में दादी मां के नुस्खे सिरप की अपेक्षा अधिक कारगर और सुरक्षित हैं। दो साल से कम उम्र के बच्चे को जुकाम व खांसी आने पर गर्म पानी, भाप और पौष्टिक आहार कारगर होने के साथ कई गुना सुरक्षित भी हैं। अगर समस्या गंभीर है तो पीडियाट्रिक की एडवाइज पर ही सिरप देना चाहिए।

कई देशों में 15 साल की उम्र तक कफ सिरप बैन

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट ने बताया कि खांसी-जुकाम होने पर गर्म पानी, भाप व बच्चे के निर्धारित नींद लेने पर खत्म हो जाता है। उसको कफ सिरप देने की जरूरत नहीं होती है। यही कारण है कि कई देशों में 15 साल उम्र तक के बच्चे को भी कफ सिरप देने पर बैन है। बच्चों को किसी भी फिजीशियन को दिखा कर दवा लेने की बजाए उनके एक्सपर्ट यानी पीडियाट्रिक एक्सपर्ट को ही दिखाकर उनके परामर्श पर दवा व सिरप देना चाहिए,

बच्चों को वेट के हिसाब से दी जाती है डोज

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट का कहना है कि कोई भी डॉक्टर बच्चे को एमएल प्रति किलोग्राम वेट के हिसाब से सिरप की डोज का परामर्श देता है। लिहाजा डॉक्टर को दिखाने के बाद उसके परामर्श पर ही बच्चे को किसी प्रकार का सिरप देना चाहिए।

किडनी और लीवर पर पड़ता है असर

पीडियाट्रिक एक्सपर्ट के मुताबिक ज्यादातर कफ सिरप में प्रिजरवेटिव्स जैसे डाइएथिलीन ग्लाइकाल व एथिलीन ग्लाइकाल होता है। इनके अधिक यूज से बच्चों की किडनी, लिवर समेत बॉडी के अन्य आर्गन को गंभीर नुकसान पहुंचा सकतर है। लिहाजा बच्चे को कफ सिरप देने की बजाए गर्म पानी, भाप का पहले यूज करें। इसके बावजूद आराम न मिलने पर पीडियाट्रिक एक्सपर्ट से चेकअप कराने के बाद उनके परामर्श भी निर्धारित मात्रा में काई सिरप देना चाहिए।

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