छोटी उम्र से ही समाजसेवा की तरफ मुड़ जाने वाली डॉ. प्रियंका बिस्सा आज भी उसी जोश और ऊर्जा के साथ सामाजिक उत्थान में जुटी हैं। उनका मानना है- ‘अगर कोई नया विचार आपके मन में आता है, तो उसे सिर्फ सोचते न रहें, अमल करें।’ यही सोच उन्हें लगातार नई राहों पर आगे बढ़ाती रही है।
झोपड़पट्टी के बच्चों से शुरू हुई ‘प्रियंका की पाठशाला’
सिर्फ नौवीं कक्षा में थीं, जब प्रियंका ने देखा कि झोपड़पट्टी में रहने वाले कई बच्चे स्कूल नहीं जाते और उनके पास किताबें भी नहीं हैं। यह दृश्य उन्हें भीतर तक छू गया। उन्होंने तय किया कि इन बच्चों की मदद करना ही उनकी जिम्मेदारी है। घर की छत पर उन्होंने छोटे-छोटे क्लास शुरू किए और दोस्तों से किताबें जुटाई। यही से शुरू हुई उनकी पहली ‘पाठशाला’। बाद में उन्होंने रॉयल एंड जीनियस स्कूल की स्थापना की, जहां प्रिविलेज्ड और अंडरप्रिविलेज्ड बच्चों को एक साथ पढ़ाने का काम शुरू हुआ।
कोविड काल में ‘दीयों से उजाला’
महामारी के कठिन दौर में भी प्रियंका ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 2500 दिव्यांग महिलाओं को साथ जोड़ा और गोबर से पर्यावरण अनुकूल दीये बनाने का काम शुरू किया। इस पहल ने न केवल उन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि सरकार ने भी इस नवाचार को सराहा।
उपलब्धियां
चित्रकला में तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से सम्मानित।
अब तक 400+ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार।
नेहरू युवा केंद्र संगठन में मास्टर ट्रेनर के रूप में सेवा।
जी-20 सम्मेलन में सहभागिता, वाय-20 मंच पर प्रवक्ता के रूप में प्रतिनिधित्व।
परिवार
- दादा स्व. राधेश्याम बिस्सा (सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त, विक्रय कर)
- पिता गिरीश बिस्सा, माता मनीषा बिस्सा, पति देवेश व्यास
शिक्षा और शोध में भी अव्वल
प्रियंका ने राजनीति विज्ञान में एमए किया और सोशल मीडया व युवा सशक्तिकरण पर पीएचडी की। उनके शोध को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। पढ़ाई में भी उन्होंने स्कूल और कॉलेज दोनों में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम किए।
‘ऑक्सीजन सर्कल’ से हरियाली बढ़ाने की पहल
प्रियंका ने पर्यावरण संरक्षण को भी अपने अभियानों का हिस्सा बनाया। उन्होंने ऑक्सीजन सर्कल नामक अभियान शुरू किया, जिसमें वातावरण को शुद्ध रखने वाले पेड़-पौधों का चयन और रोपण किया जाता है। उनका मानना है- ‘हर व्यक्ति एक पेड़ लगाए, तो शहर की हवा और जीवन दोनों स्वच्छ होंगे।’
राजिम कुंभ में बनाया अनोखा रिकॉर्ड
राजिम कुंभ के दौरान उन्होंने डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर 11,555 लोगों के ब्लड टेस्ट कार्ड तैयार किए। इन कार्डों में व्यक्ति की महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी दर्ज रहती है, जो उपचार के समय काम आती है। अब वे हेल्थ कार्ड बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।
कला, नृत्य और संगीत में गहरी रुचि
समाजसेवा के साथ प्रियंका का व्यक्तित्व कला और संस्कृति से भी ओत-प्रोत है। उन्हें कथक, बीहू, राउत नाचा और लावणी जैसे नृत्यों का शौक है। गायन में भी रुचि रखते हुए, वे मधुबनी और वरली शैली की पेंटिंग बनाती हैं। साथ ही किताबें पढ़ना भी उन्हें बेहद पसंद है।
16 अभियान, 33 जिलों के 5500 युवा वॉलंटियर्स
आज डॉ. प्रियंका बिस्सा के नेतृत्व में 16 सामाजिक अभियान चल रहे हैं। इनसे 33 जिलों के 5500 युवा वॉलंटियर्स जुड़े हैं, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
























