Hariyali amavasya: हरियाली अमावस्या कल, क्यों अमावस्या पर क्यों करते है पितरों का तर्पण, स्कंदपुराण में है वर्णन

सावन मास की हरियाली अमावस्या इस साल 24 जुलाई को है। उदया तिथि के अनुसार इस साल अमावस्या 24 जुलाई को है। हरियाली अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं। स्कंद पुराण में अमावस्या पर श्राद्ध करने के विषय में बताया गया है। इस साल सावन मास की अमावस्या तिथि आरंभ: 24 जुलाई , सुबह 2:29 बजे से शुरू होगी और 25 जुलाई को रात 12:41 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करना उत्तम रहता है।
अमावस्या पर क्यों करते हैं पितरों का श्राद्ध
अधिकतर लोग पितृपक्ष में श्राद्ध करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि हर अमावस्या को पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। पितर हर अमावस्या पर श्राद्धा की आशा से प्रतीक्षा करते रहते हैं। जो अमावास्या तिथि को जल से भी श्राद्ध करता है, उसके पितर तृप्त होते हैं। अमावस्या श्राद्ध के बारे में स्कंदपुराण में वर्णन है। इसमें लिखा है कि अमावास्या को श्राद्ध करने का विधान है। अमावस्या के दिन श्राद्ध ओर पिण्ड पाकर पितरों को एक मास तक तृप्ति बनी रहती है। सूर्यदेव के कन्या राशिपर स्थित रहते समय आश्विन कृष्णपक्ष (पितृपक्ष या महालय) में जो मनुष्य मृत्यु-तिथिपर पितरों के लिए श्राद्ध करते हैं, उनके उस श्राद्ध से पितरों को एक वर्ष तक तृप्ति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि जो इस समय श्राद्ध नहीं करता है, वह धनहीन होता है। ऐसे इंसान को सुख, संपत्ति और धन धान्य नहीं मिलता है। हर साल अमावस्या को अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। इसके अलावा सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, विषुवयोग और सूर्य की संक्रान्ति के दिन भी श्राद्ध करना चाहिए। कृष्णपक्षमें आद्रा, मघा, रोहिणी आदि नक्षत्रो में श्राद्ध करना चाहिए।
बन रहा है उत्तम संयोग
इस साल हरियाली अमावस्या पर गुरु पुष्य योग बन रहा है। यह योग ज्ञान, समृद्धि का प्रतीक है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में जो भी काम किया जाता है, उसमें सफलता मिलती है। इसके अलावा अमृत सिद्धि योग बन रहा है, इस योग में दीर्घायु और समृद्धि आती है।