रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर सहित पूरे प्रदेश में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पुलिस साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर रही है, लेकिन ठगी की राशि पीड़ितों तक वापस पहुंचाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2023 से जून 2025 तक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीसीआर) पर छत्तीसगढ़ में 67,389 साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 791 करोड़ रुपये की ठगी हुई। हालांकि, केवल 1820 पीड़ितों को ही उनकी राशि वापस मिल पाई है। रायपुर में पिछले एक साल में 40 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की राशि होल्ड की गई, लेकिन इसमें से केवल 4 करोड़ रुपये ही पीड़ितों को लौटाए जा सके।
म्यूल खातों का जाल, रिकवरी में बाधा
साइबर ठग ठगी की राशि को म्यूल बैंक खातों के जरिए कई खातों में स्थानांतरित कर देते हैं, जिससे राशि की बरामदगी जटिल हो जाती है। पुलिस ने प्रदेश में 6000 से अधिक म्यूल खातों को होल्ड करवाया है, लेकिन इनकी पहचान और राशि वापसी में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। कुछ मामलों में ठगों ने 200 से अधिक खातों में राशि स्थानांतरित की, फिर चुनिंदा खातों से पैसा निकाल लिया। रायपुर साइबर सेल और रेंज साइबर थाने ने पिछले एक साल में 320 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने 50 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की, लेकिन उनसे राशि बरामद नहीं हो सकी।
राशि वापसी की जटिल प्रक्रिया
साइबर ठगी की शिकायत पर पुलिस राशि को होल्ड करवाती है, लेकिन इसे पीड़ितों तक पहुंचाने के लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। पीड़ित को न्यायालय में आवेदन देना होता है, और पुलिस की अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के बाद ही कोर्ट बैंक को राशि लौटाने का आदेश देता है। एडीजी (तकनीकी सेवाएं) प्रदीप गुप्ता ने बताया कि इस प्रक्रिया को सरल और तेज करने के प्रयास किए जा रहे हैं। रायपुर में हर साल 10,000 से अधिक साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन राशि वापसी का आंकड़ा 5% से भी कम है। छत्तीसगढ़ में साइबर ठगी को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस और प्रशासन को और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।


















