Karwa chauth: कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को पड़ने वाला संकष्ठी श्री गणेश करक चतुर्थी व्रत जिसे करवा चौथ व्रत भी कहा जाता है। इस साल 10 अक्टूबर 2025 दिन शुक्रवार को होगा। सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायुष्य, यश-कीर्ति तथा सौख्य वृद्धि के लिए करती है। इस वर्ष चतुर्थी तिथि का आरंभ 9 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार को रात में 2:49 बजे से आरंभ होगा। जो 10 अक्टूबर 2025 दिन शुक्रवार को रात में 12:24 बजे तक व्याप्त रहेगा। इस प्रकार यह व्रत 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को किया जायेगा। काशी में या काशी के आसपास में चंद्रोदय समय रात में लगभग 7:58 बजे होगा । अतः चंद्रमा दिखाई पड़ने पर अर्घ्य देकर परम्परागत तरीके से इस व्रत पर्व को मनाया जाएगा।
उच्च राशि में रहेगा चंद्रमा
इस दिन कृतिका नक्षत्र सूर्योदय से रात में 10:49 बजे तक व्याप्त रहेगा। सिद्ध योग तथा छत्र योगा व्याप्त रहेगा। जयद योग सूर्योदय से लेकर रात में 10:49 बजे तक रहेगा। चंद्रमा इस दिन वृष राशि में उच्च के होकर गोचर करेंगे। सूर्य कन्या राशि में, मंगल तुला राशि में, बुध तुला राशि में, गुरु मिथुन राशि में, शुक्र कन्या राशि में, शनि मीन राशि में, राहु कुंभ एवं केतु सिंह राशि में गोचर करेगा।करवा चौथ के दिन चंद्रमा रात को आठ बजे निकल जाएगा। अधिकतर जगह 8.10 तक चांद निकल सकता है।
चतुर्थी तिथि के दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृष में रहेंगे । अतः व्रत के दिन पूजा पाठ करने के लिए उत्तम श्रेष्ठ दिन के रूप मे परिगणित रहेगा। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाता है। पति के दीर्घायु और एवं अखण्ड सौभाग्य के लिए, इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवा चौथ में गणेश चतुर्थी के व्रत की तरह दिन भर उपवास रखकर रात मे चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरान्त ही भोजन या फलाहार का विधान है। यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने परिवार के परंपरा के अनुसार करती हैं। लेकिन बहुसंख्यक स्त्रियाॅ निराहार रहकर ही इस व्रत को करती हैं। यह व्रत केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही करने का विधान है।
व्रत में पूजा का समय :
इस दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर बैठकर माता पार्वती सहित शिव परिवार की मूर्ति स्थापित करना चाहिए।
करवा माता को भी स्थापित करना शुभफल प्रदायक होता है।
सभी देवी देवताओं का ध्यान करके व्रत का संकल्प करना चाहिए।
उसके बाद सभी देवी देवताओं को स्नान करवाना चाहिए।
उनके बाद सभी को वस्त्र चढ़ाने चाहिए। फिर जल चढ़ाना चाहिए।
उसके बाद षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
चंद्रमा को अर्घ्य देते समय
ॐ सोम सोमाय नमः
ओम श्रीं श्रीं श्रीम चंद्रमसे नमः
ॐ सों सोमाय नमः
चंद्रमा को चावल, चीनी, दूध, सफेद चंदन, सफेद पुष्प जरूर चंद्रमा को चढ़ाना चाहिए।
चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पत्नी छलनी से चांद को देखटी हैं फिर पति को देखती हैं फिर चंद्रमा को अर्घ्य देती है और फिर पति के हाथों पानी पीकर और मिठाई खाकर अपना व्रत खोलती है उसके बाद पति पत्नी को साथ बैठकर प्रसन्नचित होकर भोजन करना चाहिए।
करवा चौथ पर सालों बाद बनेगा ये संयोग
ज्योतिर्विद और पंडित मनोज त्रिपाठी के मुताबिक, करवा चौथ पर इस बार सिद्धि योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है. सिद्धि योग और शिववास योग करवा चौथ पर पूरे 200 साल बाद एक साथ बन रहे हैं.
क्या रहेगा करवा चौथ पर सिद्धि योग का महत्व
पंचांग के अनुसार, इस दिन सिद्धि योग का संयोग शाम 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ की तिथि यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. यह योग किसी भी कार्य में सफलता और सिद्धि दिलाने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस योग में की गई पूजा और साधना विशेष फलदायी होती है. माना जा रहा है की करवाचौथ के दिन सिद्धि योग में व्रत रखने और पूजा करने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है.
करवा चौथ पर शिववास योग का महत्व
इस बार करवा चौथ पर शिववास योग भी बनने जा रहा है. शिववास का अर्थ है भगवान शिव का निवास. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब शिववास कैलाश पर होता है तो वह समय पूजा-पाठ, रुद्राभिषेक और व्रत के लिए बेहद शुभ माना जाता है. शिववास योग में पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त होता है. करवाचौथ के दिन ये संयोग सुहागिनों के वैवाहिक जीवन में सुख शांति और सौभाग्य बढ़ाएगा. इस योग में की गई पूजा से पति-पत्नी के बीच प्रेम और अटूट बंधन बना रहता है.