दूसरों की खामियां देखना छोड़ भीतर के अवगुणों को करो दूर

राजनांदगांव. जैन मुनि वीरभद्र (विराग) ने सोमवार को यहां पारिवारिक विवाद व परिवार के विघटन के बारे में कहा। यह सब इसलिए हो रहा है क्योंकि लोगों के पास सहनशक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि मोक्ष पाने का सबसे सरल उपाय यही है कि आप सभी का सभी कुछ सहन कर लो।
जैन बगीचा स्थित नए हाल में अपने नियमित प्रवचन में वीरभद्र (विराग) ने कहा कि आज दुख का कारण भी यही है कि लोगों के पास सहनशक्ति नहीं बची है। ज्वॉइंट फैमिली टूटने का कारण भी यही है। भाई-भाई के विचार नहीं मिल रहे हैं। आप केवल उपकार देखो। युद्ध मत करो अगर युद्ध करना ही है तो भीतर के दोषों व अवगुणों से युद्ध करो। हम भीतर के शत्रु को छोड़कर बाहर के शत्रु से लड़ने लगते हैं। भीतर के शत्रु से लड़ो और सभी दोषों और अवगुणों को बाहर कर दो।
मुनि ने कहा कि आत्म कल्याण के मार्ग में स्वार्थी बनों। यह देखो कि मेरा कैसा भला हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सोच में बदलाव आ गया है। परिवार में संवेदनशीलता नहीं रह गई है। एक-दूसरे की भावनाओं का हम सम्मान नहीं कर रहे हैं, इसलिए परिवार विघटित हो रहे हैं। किसी के ऊपर दोषारोपण ना करें। आप नहीं जानते एक दोषारोपण के कारण कितने लोगों को पीड़ा होती है, कितने आहत होते हैं। आत्म विवेक खुला रख कर कार्य करें।
जैन संत ने कहा कि कई लोगों की चुगली करने की आदत होती है। वह हर समय चुगली करते नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि हमें सामने वाले की कमी तो नजर आ रही है किंतु हमारे भीतर की कमी हम देख नहीं पा रहे हैं। हमारी दृष्टि कैसी हो गई है जो हम दूसरों की खामियां ढूंढने में लगे हुए हैं। अपने भीतर गुणदृष्टि विकसित करें। भीतर की ज्ञान चक्षुओं को खोलें और आत्म कल्याण के मार्ग में आगे बढे़।