इतिहास साक्षी है कि यह देश जब-जब चुनौतियों से घिरा, तब-तब इस धरती ने ऐसे महामानव दिए, जिन्होंने समय की धारा मोड़ दी। बीसवीं सदी के अंत और इक्कीसवीं सदी के आरंभ में जब भारत संक्रमण और असंतुलन से जूझ रहा था। ठीक इसी दौर में वडनगर से एक साधारण परिवार की संतति उभरी, जिसने संघर्ष को शक्ति और अवसर में बदला। राजनीति में भारतीय मूल्यों व जनभावनाओं को प्रतिष्ठा दी और भारत को वैश्विक मंच पर नई गरिमा व आत्मविश्वास दिलाया।
आज पूरा देश उस यशस्वी नेतृत्व के जीवन की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। वास्तव में, आज उनके पचहत्तर वर्ष का यह जीवन केवल व्यक्ति मात्र की यात्रा नहीं, बल्कि भारत की सामूहिक चेतना का जागरण है। वर्ष 2014 में भारत ने उन्हें प्रधानमंत्री चुना। यह चुनाव केवल सरकार का परिवर्तन नहीं था, बल्कि लोकचेतना के उदय का प्रतीक था। जनता ने एक ऐसे नेता को राष्ट्र की बागडोर सौंपी जिसने स्वयं संघर्षों का अनुभव किया था और जो साधारण जन के जीवन की पीड़ा को समझता था। यही कारण है कि करोड़ों गरीब परिवारों को घर, शौचालय, गैस, बिजली और स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं वास्तविकता बनीं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन को अपने नीति निर्माण में आधार बनाया है। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, डिजिटल क्रांति और स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल इसी दर्शन का जीवंत प्रमाण हैं। करों के संजाल से मुक्ति दिलाकर जीएसटी लागू करना, न केवल ‘वन नेशन, वन टैक्स’ की संकल्पना को साकार करता है, बल्कि पूरे देश में आर्थिक एकता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा की नई संस्कृति लेकर आया। कुत्सित राजनीति के कारण अपने ही देश में उपेक्षा और तुष्टीकरण का दंश झेलने को विवश सनातन आस्था गौरवान्वित हो रही है। कौन भूल सकता है 22 जनवरी 2024 का वह ऐतिहासिक अवसर जब पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में प्रभु श्रीरामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का संकल्प पूर्ण हुआ। इसी प्रकार काशी-विश्वनाथ धाम का पुनरुद्धार, महाकाल लोक, केदारधाम पुनरोद्धार, काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों के माध्यम से उत्तर और दक्षिण की सांस्कृतिक धाराओं को जोड़ना और सुनियोजित उपेक्षा और तिरस्कार से आहत पूर्वोत्तर को विकास की मुख्यधारा में लाना, ये सभी प्रयास भारत की एकात्म चेतना के पुनर्जागरण के प्रतीक बने हैं। सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक और हाल में ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाइयों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी संप्रभुता के प्रति अडिग है। मोदी जी के नेतृत्व में देश के भीतर आर्थिक नीतियों ने भी एक नई कथा लिखी जा रही है। आधार, जनधन और मोबाइल की ट्रिनिटी ने डिजिटल क्रांति को जन्म दिया। आज भारत यूपीआई लेन-देन की नई परिभाषा गढ़ रहा है। मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया ने युवाओं को नयी उड़ान दी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत ने अंतरिक्ष में चंद्रयान और गगनयान जैसे अभियानों के माध्यम से नित नए इतिहास रचे हैं। डिजिटल इंडिया के अंतर्गत भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल डेटा उपभोक्ता देश बन चुका है। डीप टेक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, 5जी, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में भारत वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है। मोदी जी का नेतृत्व इस अर्थ में अद्वितीय है कि उन्होंने शासन को जन-आंदोलन में बदला। स्वच्छ भारत अभियान में बच्चे-बच्चे ने झाड़ू उठाया, जनधन योजना में गरीब ने बैंक खाता खोला। महिला सशक्तिकरण पर मोदी जी ने विशेष बल दिया है। बेटियों की शिक्षा, उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए अनेक योजनाएं बनीं। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान ने समाज में सकारात्मक सोच पैदा की। संसद और विधानसभा में आरक्षण का प्रावधान इस दिशा में ऐतिहासिक कदम है। यह कितना सुंदर संयोग है कि सृष्टि शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की जयंती और एक भारत-श्रेष्ठ भारत के शिल्पी यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन एक ही दिवस पर होता है। दोनों ही सृजन के प्रणेता हैं, दोनों ही नवनिर्माण के संवाहक हैं। प्रधानमंत्री जी के अमृतकाल के इस नवीन पर्व के शुभारंभ पर उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ जनता की ओर से उन्हें दीर्घायु होने और यशस्वी जीवन की अनंत शुभकामनाएं प्रेषित हैं। उनका नेतृत्व और मार्गदर्शन हमें इसी प्रकार प्राप्त होता रहे, यही कामना है।
योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
(ये लेखक के अपने विचार हैं)