सोना भारत में सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं है बल्कि यह निवेश और सुरक्षा का भी बड़ा साधन माना जाता है. लोग इसे कभी शादी ब्याह तो कभी सेविंग और इन्वेस्टमेंट के तौर पर खरीदते हैं. लेकिन सोना खरीदते समय सबसे बड़ी चुनौती उनकी उसकी शुद्धता को लेकर होती है. असली और नकली सोने की पहचान करना हर खरीददार के लिए जरूरी है, वरना थोड़ी सी चूक आपका भारी नुकसान कर सकती है. ऐसे में अगर आप सोना खरीदने की सोच रहे हैं तो कुछ आसान और भारोसेमंद टिप्स को अपनाकर आप धोखाधड़ी से बच सकते हैं.
हॉलमार्क और एचयूआईडी कोड जरूर देखें
सोना खरीदते समय सबसे पहले उसकी शुद्धता पर ध्यान दें. हर ज्वेलरी पर भारतीय मानक ब्यूरो का हॉलमार्क होना चाहिए. यह निशान इस बात की गारंटी है कि सोने की जांच बीआईएस प्रमाणित सेंटर पर हुई है. इसके अलावा हर गहने पर 6 अंकों का यूनिक एचयूआईडी कोड दर्ज होता है, जिसे बीआईएस केयर ऐप के जरिए वेरीफाई किया जा सकता है. इससे आपको तुरंत पता चल जाएगा कि सोना असली है या नहीं.
कैरेट और नंबरिंग से पहचान
आभूषण ज्यादातर 22 कैरेट के बनाए जाते हैं. हॉलमार्क के साथ उस पर कैरेट के नंबरिंग भी होती है जैसे 22 कैरेट पर 916, 18 कैरेट पर 750 और 24 कैरेट पर 999 लिखा होता है. खरीदारी करते समय इस पर जरूर गौर करें.
आसान घरेलू टेस्ट
पानी टेस्ट: असली सोना पानी में डालने पर डूब जाता है जबकि नकली सोना तैर सकता है.
चुंबक टेस्ट: सोना कभी चुंबक से नहीं चिपकता. अगर चिपक जाए तो समझिए उसमें मिलावट है.
विनेगर टेस्ट: असली सोने पर सिरके की कुछ बूंदें डालने से उसका रंग नहीं बदलता जबकि नकली सोना रंग छोड़ देता है.
रगड़ टेस्ट: असली सोना कपड़े या टाइल पर रगड़ने से पिला निशान छोड़ता है जबकि नकली काल निशान छोड़ता है.
बिल और मशीन से जांच
सोना खरीदते वक्त हमेशा पक्का बिल लें. बिल पर दुकानदार का जीएसटी नंबर होता है जिसे आप आधिकारिक वेबसाइट से भी चेक कर सकते हैं. इसके अलावा आजकल ज्यादातर बड़े ज्वैलरी स्टोर पर कैरेटोमीटर मशीन होती है जो सोने की शुद्धता तुरंत बता देती है. ऐसे में धनतेरस या किसी भी मौके पर सोना खरीदना निवेश और परंपरा दोनों के लिहाज से अच्छा माना जाता है, लेकिन सही सोने की पहचान करना और जरूरी सावधानियां बरतना सबसे अहम होता है.