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जमीन की सरकारी कीमतों में वृद्धि का प्रस्ताव टला

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अचल संपत्ति व जमीन की नई कलेक्टर गाइडलाइन दरें बढ़ाने का प्रस्ताव फिलहाल टल गया है। पंजीयन विभाग ने 7 महीने पहले जमीन की गाइड लाइन दर में वृद्धि करने की प्रक्रिया प्रारंभ की थी, वह अब तक लटकी हुई है। जबकि निर्धारित मापदंड व दिशा-निर्देशों के अनुरूप अचल संपत्ति व जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन दर तैयार करने के लिए सर्वे का काम पूरा किया जा चुका है। जिला स्तरीय समितियों की ओर से जमीन की कलेक्टर गाइडलाइन दर में डेढ़ से दो गुना तक वृद्धि प्रस्तावित की गई है। राज्य शासन स्तर पर निर्णय नहीं होने के कारण वर्तमान में 7 साल पुरानी गाइडलाइन दरें ही प्रभावशील हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पिछले 7 वर्षों से अचल संपत्ति व जमीन की सरकारी कीमत (कलेक्टर गाइडलाइन दरें) नहीं बढ़ाई गई है। फिलहाल वर्ष 2017 की कलेक्टर गाइडलाइन दरें ही लागू हैं। शासन ने 8 माह पहले अचल संपत्ति का बाजार मूल्य मार्गदर्शिका सिद्धांत वर्ष 2025-26 निर्धारित करने

के संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को दिशा-निर्देश जारी किए थे। आंकड़ों के संकलन व विश्लेषण दस्तावेजों के आधार पर प्रचलित बाजार मूल्य व गाइडलाइन दर में न्यूनतम संभावित अंतर सुनिश्चित किया जाना है।

निर्धारित मापदंडों के अनुसार सड़क से लगकर स्थित व्यावसायिक या आवासीय कॉम्प्लेक्स के लिए सिर्फ सड़क की दर प्रस्तावित की जा सकती है। सड़क से अंदर की दर प्रस्तावित नहीं की जाएगी। नगरीय क्षेत्रों के निवेश व भावी विस्तार क्षेत्र की जानकारी भी एकत्रित की गई है, जिससे समूचे निवेश क्षेत्र व भावी विस्तारण क्षेत्र में प्रचलित बाजार दर अनुसार गाइडलाइन दर की एकरूपता हो।

गाइडलाइन दर बढ़ने से किसानों को होगा फायदा

राज्य शासन द्वारा नियमानुसार प्रतिवर्ष जमीन व अन्य अचल संपत्तियों की बाजार मूल्य दरों कोपुनरीक्षण किए जाने का प्रावधान है, लेकिन शासन इसको लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। सरकार का दावा है कि जमीन की गाइडलाइन दरों में वृद्धि होने से भू-अर्जन व मुआवजा प्रकरणों में किसानों व भूमिस्वामियों को फायदा होगा। प्रदेश में कई बड़ी परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जिसके लिए सरकार कई गांवों में सैकड़ों एकड़ भूमि का अर्जन कर रही है।

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