
दक्षिण-पूर्व रेलवे ने गंदगी और खाद्य मानकों की अनदेखी के मामले में रांची रेलवे स्टेशन पर IRCTC के नियंत्रण में संचालित फूड प्लाजा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यहां दो सप्ताह पहले सीनियर डीसीएम शुचि सिंह ने अपनी पूरी टीम के साथ निरीक्षण किया था. इस दौरान गंभीर अनियमितताएं पाए जाने की बात सामने आयी थी. तब रेलवे की ओर से यह कहा गया था इस मामले में कड़ी कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है, जिसका परिणाम अब सामने आया है.
रांची फूड प्लाजा में सीनियर डीसीएम के औचक निरीक्षण के बाद मीडिया में आयी खबरों को लेकर कोलकाता से दिल्ली तक काफी सनसनी थी. मामला स्थानीय मीडिया में चर्चा का केंद्र बिंदु था. Sr DCM के फूड प्लाजा निरीक्षण में कई खामियां पकड़े जाने की बात सामने आयी. प्लाजा के किचन में गंदगी का अंबार, खाने के सामानों पर मक्खियों का भिन्नभिन्नना, संचालन में लापरवाही, सफाई की कमी, खाद्य सामग्री और आम लोगों के साथ धोखाधड़ी की बातें भी सामने आयी थी. रसोई में कॉकरोच मिला तो प्लाजा का फिल्टर खराब था. रुटीन सफाई और सर्विसिंग की रिपोर्ट भी अपडेट नहीं थी.
Sr DCM के औचक निरीक्षण में यह बात भी सामने आयी कि प्लाजा संचालक फर्जी बिल देकर यात्रियों का आर्थिक शोषण भी कर रहा था. क्योंकि पानी की बोतल तो लोकल ब्रांड की बेची जा रही थी उसकी जगह रेलनीर की बिल दिया जा रहा था. तमाम अनियमितताओं पर सीनियर डीसीएम ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए कार्रवाई के संकेत दिये थे. इससे पहले सीनियर डीसीएम यहां पार्किंग में भी अनियमितता पर जुर्माना लगाने का आदेश दे चुकी हैं.
हालांकि Sr DCM की कार्रवाई के बाद रेलवे महकमे में कई सवाल उठाये जा रहे हैं. बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर अनियमितता के लिए खानपान सेवा की निगरानी करने वाले IRCTC अथवा सीसीआई की जिम्मेदारी क्यों नहीं तय की गयी ? फूड प्लाजा में मिली पूर्व की अनियमितताओं को देखते हुए इसका लाईसेंस कुछ समय के लिए ही सही उसे रद्द करने की अनुशंसा क्यों नहीं की गयी?
जुर्माना की वसूली कर रेलवे ने तो कर ली कमाई, यात्रियों को फिर से उनके हाल पर छोड़ दिया
सीनियर डीसीएम की कार्रवाई के बाद सवाल यह उठ रहा है कि अनियमितता के लिए फूड प्लाजा से भारी भरकम जुर्माना वसूलकर रेलवे ने अपनी कमाई तो कर ली यात्रियों को तो फिर से भगवान भरोसे ही छोड़ दिया गया.
• खराब खाद्य सामग्री का क्या हुआ ? उसे जब्त कर नष्ट किया गया अथवा नहीं ?
• क्या जांच में IRCTC के इंस्पेक्टर और सीसीआई की जिम्मेदार तय की गयी ?
• क्या वर्तमान में प्लाजा में अनियमितता खत्म हो चुकी है, व्यवस्था में सुधार हो गया है?
• क्या अब यात्री नहीं ठगे जा रहे ? क्या यात्रियों को गुणवत्ता पूर्ण खाद्य सामग्री मिल रही है?
• सीनियर डीसीएम के स्तर पर अनियमितता रोकने के लिए अभी क्या उपाय किये गये है?
सीनियर डीसीएम के हर निरीक्षण में दिखने वाले रेलकर्मी से कर रहे रश्क?
रांची में फूड प्लाजा के निरीक्षण और मीडिया में यह बात सामने आने के बाद कोलकाता से दिल्ली तक चर्चा मची रही. प्लाजा में अनियमितता पाये जाने की खबर मीडिया तक पहुंचने पर IRCTC समेत रेलवे के अधिकारी गंभीर दिखे. हालांकि उनकी चिंता अनियमितता से अधिक इस बात को लेकर थी कि यह खबर मीडिया तक कैसे पहुंची. जिससे IRCTC की छवि धूमिल हुई है! अगर सीनियर डीसीएम ने प्रेस कॉफ्रेंस कर यह जानकारी नहीं दी तो सूचना मीडिया तक पहुंचायी ? मीडिया तक सूचना पहुंचाने वाला जिम्मेदारी कर्मचारी कौन था?
महकमे में इस बात की चर्चा तेज है कि सीनियर डीसीएम के पार्किंग, फूड प्लाजा से लेकर ट्रेनों के भीतर के हर निरीक्षण में एक रेलकर्मी अवश्य दिखायी देता है, उसकी यही मौजूदगी रेल महकमे के लोगों के लिए रश्क का भी विषय है और चर्चा का भी. रांची रेलमंडल क्षेत्र के रेलकर्मियों में हर कोई इस यक्ष प्रश्न को अपने तरीके से परिभाषित करता दिख रहा कि आखिर उस रेलकर्मी के भीतर ऐसी कौन सभी प्रतिभा छिपी हुई है जो सीनियर डीसीएम के अमूमन हर निरीक्षण में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित कराती है.
कुछ लोग इस उपस्थिति का श्रेय उस रेलकर्मी के तीव्र मेधा को देते हैं तो कुछ का कहना है कि उसका सुदर्शन व्यक्तित्व ही उसकी प्रतिभा का डंका बजा रहा है. कुछ लोग यह चर्चा करते सुने गये कि कामकाज में दक्षता उसे सीनियर डीसीएम की नजरों में ले गयी है तो कुछ का मानना है कि कानाफूसी में महारथ से उसका मार्ग प्रशस्त हो रहा है. उसके विभाग से जुड़े लोग यह भी मानते है कि पत्रम पुष्पम और जुगाड़ जंतर में भी वह सिद्ध हस्त है, लिहाजा समय और आवश्यकता के अनुरूप अपने को फिट साबित करने में वह दूसरे कर्मचारियों से अलग निकल जा रहा है.