रायपुर. छत्तीसगढ़ पुलिस महकमे में एक ऐसा विवाद भड़क गया है, जो न केवल एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की छवि पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता को भी चुनौती दे रहा है। 2003 बैच के सीनियर आईपीएस रतन लाल डांगी पर एक सब-इंस्पेक्टर की पत्नी ने यौन उत्पीड़न, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। दूसरी ओर, डांगी ने खुद को पीड़ित बताते हुए डीजीपी को 14 बिंदुओं वाली शिकायत सौंपी है, जिसमें महिला पर ब्लैकमेल, वसूली और परिवार को तोड़ने की साजिश का आरोप है। यह मामला 2017 से चला आ रहा है, जब महिला का संपर्क डांगी से कोरबा एसपी के कार्यकाल के दौरान हुआ था। अब राज्य सरकार ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है, और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने साफ कहा है कि दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। इस केस ने पुलिस विभाग में हलचल मचा दी है, जहां एक तरफ उत्पीड़न की शिकायतें सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ अनियमित पोस्टिंग और वसूली के सवाल उठ रहे हैं।
Sexual Harassment Allegations
महिला की शिकायत के अनुसार, यह उत्पीड़न का सिलसिला 2017 में शुरू हुआ, जब रतन लाल डांगी कोरबा जिले के एसपी थे। महिला ने डीजीपी अरुण देव गौतम को 15 अक्टूबर को सौंपी शिकायत में दावा किया है कि डांगी ने उसे बार-बार बंगले पर बुलाया, शारीरिक शोषण किया और मानसिक दबाव बनाकर वित्तीय मदद मांगी। डिजिटल साक्ष्य के रूप में चैट्स, कॉल रिकॉर्डिंग और फोटो भी जमा किए गए हैं। महिला का कहना है कि डांगी की इस हरकतों से वह डिप्रेशन का शिकार हो गई और अब न्याय की गुहार लगा रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह उत्पीड़न सर्जा से बिलासपुर और फिर चंदखुरी पुलिस एकेडमी तक चला, जहां डांगी वर्तमान में डायरेक्टर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ने भी पुष्टि की है कि महिला ने सात सालों की पीड़ा का जिक्र किया है, जिसमें आर्थिक शोषण भी शामिल है। यह केस #MeToo मूवमेंट की याद दिला रहा है, जहां पुलिसकर्मी खुद आरोपी बन जाएं। राज्य पुलिस मुख्यालय ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए जांच का आदेश दिया, जो आईपीएस एसोसिएशन के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। क्या यह एक व्यक्तिगत मामला है या पुलिस विभाग में व्यापक समस्या का संकेत? सवाल वाजिब हैं, क्योंकि छत्तीसगढ़ जैसे नक्सल प्रभावित राज्य में पुलिस की नैतिकता पर सवाल उठना खतरनाक साबित हो सकता है।
नया खुलासा: एसआई पति की संदिग्ध पोस्टिंग और वसूली का खेल
इस केस में सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ, जब मीडिया की पड़ताल से पता चला कि आरोप लगाने वाली महिला का पति, जो एक सब-इंस्पेक्टर (एसआई) है, 2012 में प्रमोशन पाकर एसआई बना था। लेकिन हैरानी तब बढ़ी, जब सामने आया कि वह एसआई होते हुए भी 10 से ज्यादा थानों और चौकियों का प्रभार संभाल चुका है। सामान्यतः चौकियों का चार्ज उप-निरीक्षकों को मिलता है, लेकिन डांगी के रेंज आईजी रहने के दौरान उसी संभाग के थानों में एसआई को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गईं। क्या यह संयोग है या महिला के दबाव का नतीजा? सवाल उठ रहे हैं कि क्या पति की अनियमित पोस्टिंग के बदले महिला वसूली का खेल खेल रही थी? डांगी की शिकायत के पांचवें बिंदु में स्पष्ट उल्लेख है कि महिला ने स्वीकार किया कि डांगी की मदद से जिन लोगों से उसने पैसे वसूले, उसी से घर, गाड़ियां और बच्चों की फीस का इंतजाम किया। “एक सब-इंस्पेक्टर कहां से इतना पैसा लाता,” महिला के कथित बयान ने मामले को और पेचीदा बना दिया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, डांगी ने दावा किया कि महिला ने उनके नाम पर फर्जी रिकॉर्ड बनाकर उन्हें फंसाने की धमकी दी। यह खुलासा पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के गहरे घाव को उजागर कर रहा है। क्या ट्रांसफर-पोस्टिंग का सिस्टम इतना कमजोर है कि एक एसआई की पत्नी मनचाही जगहों पर प्रभाव डाल सके? मीडिया की जांच में यह भी सामने आया कि रेंज के थानों में पोस्टिंग के नाम पर वसूली आम हो गई थी। यह न केवल डांगी की छवि को धूमिल कर रहा है, बल्कि पूरे महकमे की पारदर्शिता पर सवाल ठोक रहा है। यदि जांच में यह साबित होता है, तो कई बड़े अधिकारियों की नींद हराम हो सकती है।
Blackmail Tactics
डांगी की डीजीपी को सौंपी 14 बिंदुओं वाली शिकायत पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसमें विस्तार से बताया गया है कि कैसे महिला ने उन्हें ब्लैकमेल किया। पहले बिंदु में उल्लेख है कि महिला जहर की शीशी लेकर उनके कार्यालय पहुंची और तीन बेटों व मां की कसम खिलवाई कि वह पत्नी से दूरी बनाए रखें। शर्तें ऐसी थीं कि पत्नी के साथ न बैठना, न बात करना, न गाड़ी में ले जाना, व्हाट्सएप ब्लॉक करना, रात 10 बजे के बाद बालकनी में सोना और 8 घंटे की लाइव लोकेशन शेयर करना। सुबह 5 बजे से वीडियो कॉल चालू रखनी थी, जिसमें बाथरूम, वर्कआउट और यहां तक कि यूरिन करते समय दिखाना पड़ता। केवल 20 मिनट तैयार होने और 12-15 मिनट खाने के लिए समय! दूसरे बिंदु में डांगी ने कहा कि महिला ने वॉशरूम के स्क्रीनशॉट्स लेकर धमकी दी कि इन्हें वायरल कर दूंगी। विरोध करने पर ब्लेड से हाथ काटने की तस्वीरें भेजीं, पंखे से फंदा लगाकर सुसाइड का नाटक किया। चौथे बिंदु में झूठी कसमों का जिक्र है, जबकि छठे में जहर की शीशी टेबल पर रखकर जेल भिजवाने की धमकी। सातवें से नौवें बिंदु में पत्नी के साथ घूमना-फिरना बंद करवाने, मां के कैंसर इलाज के दौरान गाड़ी न ले जाने और बहन की मौत पर राजस्थान न जाने की धमकियां। दसवें बिंदु में बेटे का तलाक करवाने की साजिश, ग्यारहवें में होली मिलन में पत्नी न लाने का दबाव। बारहवें में करवा चौथ पर पूजा न करने की धमकी, तेरहवें में बेटे को फोन कर चरित्र हनन और पति की संलिप्तता। चौदहवें में घर में घुसकर हंगामा, स्टाफ को अश्लील तस्वीरें दिखाना। डांगी ने अनुरोध किया है कि ब्लैकमेलिंग, मानसिक प्रताड़ना, आपराधिक धमकी और मानहानि की धाराओं में एफआईआर दर्ज हो। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, डांगी ने कहा कि 2019 में सोशल मीडिया से संपर्क हुआ, जब महिला उनकी पत्नी की ब्यूटीशियन थी। उन्होंने दावा किया कि तीन साल से एकेडमी में पोस्टिंग होने से ट्रांसफर पावर नहीं है, फिर भी ब्लैकमेल जारी रहा। यह टैक्टिक्स किसी थ्रिलर मूवी से कम नहीं लगते। महिला के मोबाइल की फॉरेंसिक जांच से साक्ष्य मिल सकते हैं, जैसा डांगी ने सुझाया। सोशल मीडिया पर एक ऑडियो क्लिप वायरल हो रही है, जिसमें महिला आरोपों से इनकार करती सुनाई दे रही है। यह केस मानसिक स्वास्थ्य और डिजिटल ब्लैकमेल के खतरे को उजागर कर रहा है। पुलिस परिवारों पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह समय बताएगा।
दो सदस्यीय समिति गठित: जांच में क्या होगा फोकस?
राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गुरुवार को ही दो सदस्यीय समिति का गठन कर दिया। आईजी आनंद छाबड़ा की अगुवाई में आईजी मिलना कुर्रे के साथ यह टीम महिला के यौन उत्पीड़न आरोपों और डांगी के ब्लैकमेल-वसूली दावों की निष्पक्ष जांच करेगी। इंडियन मास्टरमाइंड्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सीएम विष्णुदेव साय ने मरवाही दौरे के दौरान मीडिया को कहा, “कोई भी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं। जांच होगी, दोषी साबित होने पर सख्त कार्रवाई।” पलिवालवानी न्यूज ने भी सीएम के बयान को हाइलाइट किया कि न्याय होगा, चाहे आरोपी कोई भी हो। समिति बयान दर्ज करेगी, डिजिटल साक्ष्यों की पड़ताल करेगी और दोनों पक्षों को मौका देगी। डेवडिस्कोर्स की रिपोर्ट में कहा गया कि डांगी ने 2017-18 में दंतेवाड़ा डीआईजी रहते संपर्क का दावा किया, जब महिला ने पति के काम के लिए फोन किया। समिति का फोकस पोस्टिंग अनियमितताओं पर भी होगा। क्या यह जांच पारदर्शी होगी या विभागीय दबाव में दब जाएगी? आईपीएस एसोसिएशन ने समर्थन जताया है, लेकिन आंतरिक हलचल साफ है। यह समिति न केवल व्यक्तिगत न्याय देगी, बल्कि पुलिस सुधारों का आधार भी बनेगी।
IPS Career Profile
रतन लाल डांगी छत्तीसगढ़ पुलिस के एक जाना-माना चेहरा हैं। 2003 बैच के आईपीएस, मूल रूप से राजस्थान के किसान परिवार से, उन्होंने 2002 में यूपीएससी में 226वीं रैंक हासिल की। इससे पहले नायब तहसीलदार और टैक्स इंस्पेक्टर रहे। करियर की शुरुआत एसडीओपी से, फिर बस्तर के बीजापुर, कांकेर, कोरबा, बिलासपुर में एसपी। डीआईजी के रूप में कांकेर, दंतेवाड़ा, राजनांदगांव; सर्जा डीआईजी के साथ दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर रेंज आईजी। वर्तमान में चंदखुरी पुलिस एकेडमी डायरेक्टर। दो राष्ट्रपति वीरता पदक और एक सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित। फिटनेस और योग के शौकीन, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स। फेसबुक पेज पर 57,000 से ज्यादा लाइक्स। रायपुर कमिश्नरेट में पहले पुलिस कमिश्नर की रेस में। खबरचलिसा न्यूज ने उनकी उपलब्धियों को हाइलाइट किया, लेकिन अब विवाद ने छवि पर साया डाला। क्या यह केस उनकी विरासत को कलंकित करेगा?
पुलिस महकमे पर असर: सुधारों की गुंजाइश
यह केस छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए झटका है। उत्पीड़न और ब्लैकमेल के आरोप विभागीय नैतिकता पर सवाल उठा रहे हैं। एनडीटीवी ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच क्लेम-काउंटर क्लेम चल रहे हैं, जिसमें एफआईआर की मांग है। द हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, महिला के पति की संलिप्तता जांच का हिस्सा बनेगी। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो ने बहस छेड़ दी। सीएम के बयान से सरकार की प्रतिबद्धता साफ है, लेकिन आईपीएस जैसे वरिष्ठ अधिकारी पर आरोप से जूनियर स्टाफ में असुरक्षा बढ़ रही है। यह मामला पॉस्को एक्ट और डोमेस्टिक वायलेंस लॉ के तहत भी देखा जा सकता है। सुधारों की जरूरत: ट्रांसफर पॉलिसी में पारदर्शिता, मानसिक स्वास्थ्य सपोर्ट और डिजिटल साक्ष्यों की सुरक्षित हैंडलिंग। खबरचलिसा ने नए ट्विस्ट का जिक्र किया, जहां डांगी की चिट्ठी चौंकाने वाली है। यदि जांच निष्पक्ष रही, तो यह अन्य मामलों के लिए मिसाल बनेगा। अन्यथा, विश्वास का संकट गहरा जाएगा। कुल मिलाकर, यह केस न्याय, पारदर्शिता और मानवीय संवेदनाओं का इम्तिहान है।


















