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समितियों में खरीदी की लिमिट से टोकन के लिए मशक्कत

रायपुर। धान बेचने के लिए किसानों को टोकन के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। तुंहर टोकन एप शुरू होने के चंद मिनटों में ही बंद हो जा रहा है। इसके चलते ग्रामीण तत्काल ऑनलाइन टोकन नहीं कटा पा रहे हैं। दूसरी तरफ इस बार समितियों में धान खरीदी की लिमिट भी आधी कर दी गई है। तुहर एप के जरिए विफल होने के बाद किसान आसपास के चॉइस केन्द्रों में कतार लगा रहे हैं। दूसरी तरफ समितियों में खरीदी की सीमा आधी कर देने से बड़े किसानों को अपना पूरा धान बेचने से वंचित होना पड़ रहा है। भुगतान के मामले में भी यही स्थिति है। कम रकबा वाले छोटे किसानों को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ रहा है लेकिन ज्यादा धान बेचने वालों को सप्ताह भर तक भुगतान नहीं हो रहा है। धान बेचने के लिए किसानों को इस बार टोकन कटाने के जूझना पड़ रहा है। तुंहर एप सीमित समय के लिए खुलता है और चंद मिनटों में ही बंद हो जाता है। दरअसल, सुबह निर्धारित समय में कुछ देर के लिए ही एप ओपन होता है। इस समय सभी किसान टोकन के लिए प्रयास करते हैं, इसमें कुछ ही किसान सफल हो पाते हैं और बमुश्किल दो मिनट में ही एप क्लोज हो जाता है। यही वजह है कि ज्यादातर किसान चॉइस सेंटरों में जाकर टोकन के लिए लाइन लगाने मजबूर हैं। रायपुर जिले अलग-अलग क्षेत्रों में यही तसवीर नजर आ रही है। ऑफलाइन टोकन की लिमिट भी केवल 30 फीसदी है। वहीं समितियों की सीमा भी आधी होने से किसानों को वंचित होना पड़ रह है। इनमें सबसे ज्यादा दिक्कत कम लिमिट वाली सोसायटियों के दायरे में ज्यादा रकबे वाले किसान को है। कुछ समितियों में तो केवल 700 से 800 क्विंटल की ही लिमिट है, इसी सोसायटियों में 500 क्विंटल धान बेचने वाले बड़े किसानों को टोकन नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह मध्यम किसानों को भी धान बेचने पसीना बहाना पड़ रहा है।
दस दिनों से लगा रहे चक्कर
रायपुर जिले की धरसींवा और कुंरा धान खरीदी केन्द्र के किसानों के मुताबिक वे टोकन के लिए दस दिनों से समितियों और चॉइस सेंअर के चक्कर काट लिए लेकिन टोकन नहीं कट रहा है। समितियों में खरीदी की लिमिट नहीं बढ़ाने से टोकन नहीं कट रहा है।
न उठाव हो रहा न टोकन मिल रहा
किसान संगठनों ने टोकन नहीं मिलने पर नाराजगी जताई है। इधर किसान नेता उधोराम वर्मा ने मांग उठाई कि सरकार समितियों में खरीदी की सीमा में बढ़ोतरी करे तो टोकन उपलब्ध हो पाएगा। हालात यही बनी रही तो किसान फिर आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। समितियों में उठाव की व्यवस्था कर सूखत से बचाने भी तत्काल निर्णय लिया जाए।

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