रायपुर के सूने मकानों में एक करोड़ की चोरी, बाइक में निकलते थे चोर

रायपुर। राजधानी के आउटर की आधा दर्जन कॉलोनियों में लगातार चोरियों को अंजाम देने वाले पुराने चोरों का गैंग छह महीने बाद पुलिस की गिरफ्त में आया है। गैंग द्वारा अब तक कबूल की गई 18 चोरियों में सेजबहार, अभनपुर, विधानसभा थाना क्षेत्र की सबसे ज्यादा 15 चोरियां खुली हैं। गैंग से पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। मसलन सूने मकानों को ही गैंग टार्गेट कर रहा था। वहीं पुलिस की थानेवार होने वाली नाइट गश्त की भी पोल खुल गई है। गैंग के गिरफ्तार सदस्यों में से 3-4 सदस्य रात में नशा करने के बाद बाइक में सवार होकर चोरी करने निकलते थे। आउटर की कॉलोनियों में घूमते और सूना मकान दिखते ही ताले तोड़कर घुस जाते थे। यह गैंग रात में होने वाली पुलिस की गश्त पेट्रोलिंग की जांच के दायरे में कभी नहीं आया। छह महीने में गैंग द्वारा एक करोड़ से ज्यादा की ज्वेलरी और नकदी उड़ाए जाने की आशंका है।
चोरियों का पैटर्न दिखा एक जैसे, इसीलिए बनाई विशेष जांच टीम
पंद्रह दिन पहले आउटर की चोरियों की समीक्षा की गई तो वरिष्ठ अधिकारियों ने हर हिस्ट्रीशीटरों और पुराने चोरों पर ध्यान केंद्रिरत करने कहा। सूने मकानों में चोरियों का पैटर्न भी एक ही तरह का लगा। एक साथ सभी चोरियों की जांच करने क्राइम ब्रांच में ही 30 सदस्यीय विशेष टीम बनाई गई। इसके बाद देवार युवाओं का गैंग
गैंग फंसा तब लिखी गई थानों में कई एफआर्डद्वार
गिरफ्त में आया। गैंग को चोरी के केस में कई बार जेल जा चुके भूपेन्द्र साहू निवासी ताजनगर, संतोषी नगर और करण ध्रुव देवार निवासी ओम नगर काठाडीह थाना टिकरापारा चला रहे थे। दोनों की दोस्ती जेल में हुई थी। इन्होंने गैंग बनाया तो करण ध्रुव के संपर्क में रहे शुभांकर पटेल देवार हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी कचना, सागर नगरहा देवार चंगोराभाठा डी.डी. नगर और रवि नेताम देवार मठपुरैना थाना पुरानी बस्ती को शामिल किया गया। पांच आरोपियों में से तीन मुजगहन और अभनपुर क्षेत्र में ज्यादा एक्टिव रहे हैं और दोनों थाना क्षेत्र में ही उन्होंने सबसे ज्यादा 13 चोरियां की हैं। चोरी के गहने गैंग के मास्टरमाइंड भूपेन्द्र और करण ध्रुव के परिचित टिकरापारा हरदेव लाल मंदिर के पास रहने वाले सुरेश सोनझरा को औने-पौने दाम में बेचते रहे। इसी आरोपी से कड़ी पूछताछ के बाद 20-22 तोला सोना और डेढ़ किलो चांदी की ज्वेलरी बरामद की गई है।
पुलिस ने गैंग को दबोचकर पूछताछ शुरू की तो वे कई घरों में खुद पुलिस को लेकर गए। बताया कि उन्होंने वहां भी चोरी की है। ऐसी आधा दर्जन चोरियों की जानकारी पुलिस को मिली, जिनमें थाने में एफआईआर ही दर्ज नहीं थी लेकिन वहां से डेढ़-दो लाख के जेवर चोरी हुए थे। चोरी का शिकार हुए लोगों से पता चला कि वे तो थाने में लिखित शिकायत कर चुके हैं। कहा गया कि थाने से जांच जारी होने की जानकारी दी जाती रही है। सीएसपी और एएसपी स्तर के सुपरविजन अधिकारियों को भी चोरी होने या शिकायतों की जानकारी नहीं थी। इस पर उच्चाधिकारियों ने नाराजगी जताई है। साथ ही गैंग के गिरफ्त में आने के बाद थाने में दबी शिकायतों पर चोरी की एफआईआर दर्ज की गई। संकेत हैं कि चोरी जैसे गंभीर मामले की शिकायतें थाने में दबाने वाले जिम्मेदार स्टाफ के खिलाफ आने वाले दिनों में कार्रवाई होगी।