चार महीने की योग निंद्रा के बाद दो नवंबर को भगवान श्री हरि जाग जाएंगे। इस साल छह जुलाई को देवशयनी एकादशी से भगवान चार महीने की योग निंद्रा में चले गए थे। उनकी नींद कार्तिक शुक्ल पक्ष एकादशी जिसे प्रबोधिनी, देवोत्थान या देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, को टूटती है। इस दिन भगवान को शाम के समय जगाया जाता है। उनके लिए रंगोली सजाई जाती है और मौसमी फल और सब्जियों को अर्पित कर उन्हें गायन करके जगाया जाता है। गन्ने, मौसमी फलों को सजाकर उनपर सूप ढ़क दें, फिर दीपक जलाएं और ऊठो देव जागो देव,गीत गाकर विष्णु जी को जगाएं। ऐसी मान्यता है कि भगवान को भक्त इस दिन गीत, वाद्य और आरती आदि से जगाते हैं। इस वर्ष एक नंवबर को सुबह 9.11 बजे से एकादशी तिथि शुरू हो रही है। जो अगले दिन 2 नवंबर को सुबह 7.30 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के कारण व्रती इसे दो नवंबर को मना रहे हैं, वहीं लोग 1 नवंबर को भी एकादशी मना रहे हैं। प्रबोधनी एकादशी के साथ ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। इसलिए दोनों दिन एकादशी मनाना उत्तम है। इस दिन तुलसी विवाह भी किया जाता है, जो प्रदोष काल में होता है, तुलसी विवाह 1 नवंबर को किया जाएगा, क्योंकि इस दिन एकादशी का प्रदोष काल मिल रहा है।
पुराणों में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। इस दिन अगर आप अन्न ना खा पाएं तो आप चावल का त्याग करें। ऐसा कहा जाता है कि जो इस दिन निराहार रहकर उपवास करता है, वो मोक्ष को पाता है। यह एकादशी बड़ी एकादशी में से एक मानी जाती है, इस दिन से आप एकादशी वरत शुरू कर सकते हैं और समाप्त भी कर सकते हैं।
 
 

















