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क्यों शनि देव को चढ़ाया जाता है सरसों का तेल, जानें धार्मिक महत्व

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए भक्त शनिवार के दिन सरसों का तेल चढ़ाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे एक पौराणिक कथा और गहरा महत्व छिपा है? इस लेख में हम शनि देव और सरसों के तेल से जुड़ी कथा और इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानेंगे.

शनि देव का महत्व

शनि देव को हिंदू धर्म में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है. वे व्यक्ति के कर्मों के आधार पर भोग और सजा देते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का विशेष महत्व है. शनि देव की कृपा पाने और उनके प्रकोप से बचने के लिए तेल, काले तिल, काले वस्त्र और नीले फूल चढ़ाए जाते हैं. सरसों का तेल इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है.

हनुमान जी और शनि देव

पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब शनि देव को अपनी ताकत और शक्तियों को लेकर काफी ज्यादा घमंड हो गया था. वहीं हनुमान की कीर्ति और बल की चर्चा हर कोई कर रहा था. शनि देव को हनुमान जी के बल का गुणगान बर्दाश्त नहीं हुआ.

हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा

शनि देव ने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा. भगवान राम की भक्ति में लीन हनुमान जी ने शनि देव को समझाने की काफी कोशिश की. लेकिन शनि देव ने उनकी बातों को एकदम नहीं सुना. इसके बाद दोनों लोगों के बीच जमकर युद्ध हुआ. कहा जाता है कि हनुमान जी ने शनि देव की खूब पिटाई की.

शनि देव को लगाया तेल

हनुमान जी की पिटाई से बुरी तरह घायल हुए शनि देव को पीड़ा होने लगी. इस पीड़ा को कम करने के लिए हनुमान जी ने शनि देव को सरसों का तेल लगाया. हनुमान जी के द्वारा सरसों का तेल लगाने से शनि देव की पीड़ा एकदम खत्म हो गई. शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त उन्हें सच्चे मन से सरसों का तेल चढ़ाएगा, उसके सारे संकट दूर हो जाएंगे.

रावण ने शनि देव को बनाया बंदी

एक अन्य पौराणिक कथा के मुताबिक, संधि युग में भगवान शिव के महान भक्त और प्रसिद्ध ब्राह्मण विद्वान रावण ने राहु, केतु, शुक्र, शनि, बुध, बृहस्पति, मंगल, चंद्र और सूर्य जैसे सभी नौ नवग्रहों को कैद कर लिया था. रावण ने शनि देव को उल्टा लटका दिया, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक पीड़ा बढ़ गई.

शनि देव को लगाया तेल

माता सीता की खोज में जब हनुमान जी लंका पहुंचे, तो उस दौरान रावण ने उनकी पूंछ में आग लगा दी. पूंछ में लगी आग से हनुमान जी ने जब पूरी लंका को जलाया, तो रावण के बंदी से शनि देव समेत सभी ग्रह मुक्त हुए. शनि देव की पीड़ा को कम करने के लिए उस समय हनुमान जी ने शनि देव के घावों पर सरसों का तेल लगाकर मालिश की, जिससे उनकी पीड़ा कम हुई.

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