मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईटपाल स्थित बीजापुर गवर्नमेंट फैक्ट्री का लोकार्पण किया. इस अवसर पर उन्होंने गारमेंट फैक्ट्री में चल रहे कपड़ा निर्माण के कार्यों का निरीक्षण भी किया और यहां कार्यरत महिलाओं से बात की. श्री बघेल ने फैक्ट्री से हरी झंडी दिखाकर बाजार के लिए तैयार उत्पादों की पहली खेप को रवाना किया.
बीजापुर जिले में निवासरत ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य स्त्रोत कृषि एवं वन आधारित है. तथा जिले में उद्योग नहीं होने के कारण ग्रामीण अन्य राज्यों में रोजगार के लिए पलायन को देखते हुए जिला प्रशासन बीजापुर द्वारा स्थिर आजीविका एवं महिला सशक्तिरण के लिए व्यवसायिक मॉडल के रूप में गारमेंट फेक्ट्री की स्थापना की गई. जो जिला प्रशासन द्वारा कम से कम लागत में ज्यादा से ज्यादा हितग्राहियों को रोजगार प्रदान करने व्यवसायिक मॉडल का एक उदाहरण है. जिसमें गारमेंट आधारित उद्योग ही कम समय कम लागत में स्थापित कर ज्यादा से ज्यादा हितग्राहियों को रोजगार दिया जा सकता है.
गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना के लिए देश के बड़े गारमेंट ब्रांड मिंत्रा, मैक्स, डिक्सी इत्यादि कंपनियों से चर्चा की गई है. जिसमें डिक्सी एवं मिंत्रा कंपनी के प्रतिनिधियों द्वारा जिले का भ्रमण किया गया और फैक्ट्री स्थापना की सहमति बनी. इस प्रकार गारमेंट फैक्ट्री को 6 करोड़ 90 लाख 27 हजार रुपए की लागत से बनाया गया है.
गारमेंट फैक्ट्री में काम करने के लिए 800 महिलाओं की काउंसलिंग कर 200 हितग्राहियों को प्रशिक्षण प्रारंभ दिया गया.जून 2023 में डिक्सी कंपनी के साथ 05 वर्षों का अनुबंध कर 70 महिलाओं के साथ जिला परियोजना लाईवलीहुड कॉलेज में बनियान प्रॉडक्शन प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने एक दिवसीय बीजापुर प्रवास के दौरान कलेक्टर कार्यालय परिसर में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्पार्पित कर उन्हें नमन किया. मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रतिमा अनावरण के उपरांत कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी, छत्तीसगढ़ की अस्मिता, स्वाभिमान और सम्मान का प्रतीक हैं. उन्होंने कहा कि सभी जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा लगाई जा रही है ताकि लोगों में अपनी संस्कृति को लेकर चेतना जागृत की जा सके. अपने तीज-त्यौहार, लोक परम्पराओं को जानने-समझने का भावी पीढ़ी को पर्याप्त अवसर मिले, यही हमारा प्रयास है.
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए संकल्पित होकर कार्य कर रही है. छत्तीसगढ़ के परंपरागत तिहारों का आयोजन किया जा रहा है. तीजा-पोरा, अक्ती, हरेली, छेरछेरा जैसे लोक जीवन के तिहारों को व्यापक स्तर पर मनाने की सार्थक पहल हुई है. बोरे-बासी को आज पूरा देश जानने लगा है. आदिवासी नृत्य महोत्सव, देवगुड़ी का कायाकल्प, आदिवासी परब सम्मान निधि जैसी पहल के माध्यम से जनजातीय संस्कृति को सम्मान दिलाने का काम किया गया है.