सोशल मीडिया बच्चों के लिए खतरा
ऐसा लगता है, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुष्परिणामों पर किसी देश ने अच्छी तरह से अध्ययन किया है, तो वह फ्रांस है. वहां आज से सात-आठ साल पहले ही इस बात पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की सोशल मीडिया पर किस तरह से सुरक्षा की जाए. उस विमर्श के नतीजे अब दिखाई देने लगे हैं.
फ्रांसीसी सांसदों ने प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर नए खाते खोलने के लिए न्यूनतम उम्र को 15 वर्ष करने संबंधी विधेयक पास कर दिया है. इस विधेयक का उद्देश्य बच्चों को हानिकारक ऑनलाइन सामग्रियों से बचाना है. इतना ही नहीं, आज से पांच साल पहले ही फ्रांसीसी सांसदों ने एक नए कानून को मंजूरी दे दी थी, जो बच्चों की ऑनलाइन गोपनीयता को बनाए रखने का काम करता है. उस कानून के अनुसार, माता-पिता भी अपने बच्चों की तस्वीरें उनकी अनुमति के बिना इंटरनेट पर पोस्ट नहीं कर सकते.
उल्लेखनीय है कि फ्रांस ही वह देश है, जहां के स्कूलों में करीब पांच साल से मोबाइल फोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है. पेरिस से सटा दो हजार की आबादी वाला सीन-एट-मार्ने गांव है, जहां जनमत-संग्रह कराकर यह फैसला हुआ कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर स्मार्टफोन चलाने की इजाजत नहीं होगी. यानी, जिस तरह से सोशल मीडिया की लत बच्चों को लग रही है, उसके बेहद नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं. यह आदत महामारी की तरह पूरी दुनिया में फैल रही है.
इसी तरह, अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य ने भी 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया को प्रतिबंधित कर दिया गया है. इस संदर्भ में वहां एक कानून बनाया गया है, जो अगले साल, यानी 2025 से लागू हो जाएगा. इस नए कानून के मुताबिक, 14 और 15 साल के बच्चे भी इंस्टाग्राम या स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल तभी कर सकेंगे, जब उनके अभिभावक इसकी लिखित अनुमति देंगे. इस कानून के तहत सोशल मीडिया चलाने वाली तमाम कंपनियों से कहा गया है कि वे 14 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट बंद करें.
विकसित देशों की सोशल मीडिया से यह दूरी बता रही है कि इसके फायदे कम, और नुकसान ज्यादा हैं. दुर्भाग्य से अपना देश इसे अब भी नहीं समझ पा रहा. यहां ऐसा कोई कानून नहीं है, जो छोटे-छोटे बच्चों को सोशल मीडिया पर सुरक्षित बनाए. फ्रांस और अमेरिका तो अपने बच्चों को बचाने के लिए निकल पड़े हैं, बाकी दुनिया कब ऐसा करेगी, यह देखने की बात है.