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चांद की सतह पर ‘ब्लू घोस्ट’ की सफल लैंडिंग

केप कैनावेरल. अंतरिक्ष की दुनिया में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि जुड़ गई. अमेरिका की निजी कंपनी फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ‘ब्लू घोस्ट’ लैंडर रविवार को चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर गया. मिशन का उद्देश्य मानव मिशनों की तैयारी को चंद्रमा पर आवास, संसाधन, जलवायु अध्ययन के लिए डाटा जुटाना है. यह नासा के लिए 10.1 करोड़ डॉलर यानी करीब 884 करोड़ रुपये की लागत से बने खास उपकरण लेकर गया है.

4 जीपीएस टेस्ट सिस्टम पृथ्वी के नेविगेशन सिस्टम (जीपीएस और यूरोपियन गैलीलियो) को चंद्रमा पर आजमाने के लिए.

1 ड्रिल मशीन चंद्रमा की सतह के 10 फीट गहरे तापमान को मापना.

करोड़ रुपये के खास उपकरण लेकर पहुंचा

2 वैक्यूम सिस्टम चंद्रमा की धूल को इकट्ठा कर उसका बारीकी से अध्ययन करने के लिए.

3 डस्ट क्लीनर अपोलो मिशन में यात्रियों को हुई धूल की समस्या का समाधान खोजने के लिए.

3 कैमरे पृथ्वी और चंद्रमा की शानदार तस्वीरें लेने के लिए.

3.6 निजी कंपनियों में होड़ तेज

● ब्लू घोस्ट के बाद इस हफ्ते अमेरिका की इंट्यूटिव मशीन कंपनी भी अपना 15 फीट ऊंचा लैंडर चांद पर भेजने वाली है.

● जापान की ‘इस्पेस’ कंपनी भी तीन महीने में अपना दूसरा चंद्र मिशन लॉन्च करेगी. इसका पहला मिशन 2023 में क्रैश हो गया था.

● अब तक कई मिशन क्रैश हो चुके हैं, पर नासा का लक्ष्य प्रतिवर्ष कम से कम दो निजी लैंडर भेजना है.

लाख किलोमीटर लंबी यात्रा की पृथ्वी से

फायरफ्लाई एयरोस्पेस का ‘ब्लू घोस्ट’ लैंडर जो चांद पर उतरा. टेक्सास के मिशन कंट्रोल सेंटर से मिशन की सफल लैंडिंग देखते कर्मचारी (इनसेट).

‘हम चांद पर पहुंच गए’

टेक्सास के मिशन कंट्रोल सेंटर से मिशन की सफलता की पुष्टि होते ही जश्न का माहौल बन गया. कंट्रोल टीम ने उत्साहित होकर घोषणा की ‘हम चांद पर पहुंच गए’.

● मानव अभियानों के लिए महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएगा

● फायरफ्लाई बिना क्रैश उतरने वाली पहली कंपनी

ज्वालामुखी के पास हुई लैंडिंग

फायरफ्लाई एयरोस्पेस की यह पहली चंद्र यात्रा थी जो बिना क्रैश हुए उतरने वाली पहली निजी अमेरिकी कंपनी बन गई. इस लैंडर की लैंडिंग चंद्रमा के उत्तरी गोलार्ध में एक प्राचीन ज्वालामुखी के पास हुई. पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी करीब 3.6 लाख किलोमीटर है.

उपकरण और उद्देश्य

इस मिशन में वैज्ञानिक उपकरण भेजे गए हैं, जिनका मकसद चंद्रमा की सतह और वातावरण को समझना है.

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