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भाजपा में निगम, मंडल की नियुक्ति में फिर किचकिच

रायपुर. पिछले 14 महीने से सत्ता में भागीदारी की राह देख रहे भाजपा नेताओं का इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा है. निगम, मंडल, आयोग में नियुक्ति को लेकर जैसे ही सुगबुगाहट शुरू होती है, साथ में विरोध के स्वर भी सुनाई पड़ने लगते हैं. जिसके चलते नियुक्तियों को लेकर किचकिच जारी है. भाजपा सूत्रों का कहना है कि पिछले सात दिनों से 10 निगम, मंडल, आयोग में नियुक्ति को लेकर कवायद शुरू हुई थी. इनके लिए जिन नेताओं के नाम तय हुए, उनके नाम बाहर आ गए. जिसे कुछ लोग लीक होना बता रहे हैं, जिसके चलते विरोध के स्वर भी सुनाई देने लगे हैं और प्रदेश भाजपा के नेताओं के साथ-साथ दिल्ली के नेताओं तक शिकायतें भेजी जा रही हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि इसमें से अधिकांश नेता पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में पद में रह चुके हैं. जिन नेताओं को सत्ता में भागीदारी देने की चर्चा है, उनमें भूपेंद्र सिंह सवन्नी, सौरभ सिंह, अनुराग सिंहदेव, प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, संजय श्रीवास्तव, राजीव अग्रवाल, केदार गुप्ता, श्रीनिवास मद्दद्दी के नाम प्रमुखता से सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं. इन नामों को लेकर भाजपा में अंदरूनी खींचतान शुरू हो गई है. दरअसल वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव सामूहिक रूप से लड़ा गया था. जिसका नेतृत्व तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष अरूण साब ने किया था. प्रदेश प्रभारी के रूप में ओम माथुर थे और सहप्रभारी नितिन नबीन रहे, जबकि चुनाव प्रभारी के रूप में केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया आए थे. बड़े नेताओं ने इस दौर में पुराने नेताओं को किनारे कर नए लोगों को मौका दिया था और नए लोगों ने चुनाव में मेहनत भी की, जिसके बाद भाजपा सत्ता में पुनः लौटी.

चुनाव में मेहनत करने वालों की अनदेखी की चर्चा

विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद चुनाव प्रभारी मनसुख मांडविया ने कम से कम 10 ऐसे नेताओं की सत्ता में भागीदारी का सुझाव दिया था, किंतु लोकसभा चुनाव के चलते उनके सुझाव को नहीं माना गया. लोकसभा चुनाव के बाद नगरीय निकाय व त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब संपन्न होने के करीब हैं. ऐसी स्थिति में निगम, मंडल में नियुक्ति को लेकर कवायद भी शुरू हो गई है. जिसके चलते राजनीतिक चर्चाओं का बाजार भी गरम है. चर्चाओं में यह भी बातें सामने आ रही हैं कि जिन लोगों ने चुनाव में मेहनत की है, नियुक्ति में उनकी अनदेखी हो रही है, क्योंकि अब तक जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं, उसे लेकर भाजपा में कोई खासा उत्साह नजर नहीं आया. जिसमें महिला आयोग की पांच सदस्यों की नियुक्ति, राज्य युवा आयोग के अध्यक्ष, राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष जैसे पद प्रमुख हैं.

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