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छत्तीसगढ़ में पहली बार साहू समाज की ये डॉक्टर बेटी बनेगी जैन साध्वी

धमतरी के नगरी में रहने वाली मनीषा साहू (Manisha Sahu) आगामी 28 नवंबर को दीक्षा लेकर जैन साध्वी बन जाएगी. अपने इस निर्णय के कारण मनीषा धमतरी (Dhamtari) में चर्चा का विषय बनी हुई है. मनीषा के पिता एक सफल व्यवसाई है और आर्थिक रूप से काफी सक्षम है. लेकिन मनीषा का रुझान शुरू से ही धर्म और अध्यात्म की ओर रहा. इस वजह से अब वो साध्वी का जीवन जीने के लिए तैयार है.

साहू समाज से पहली साध्वी

दरअसल धमतरी जिले के नगरी वनांचल क्षेत्र के सांकरा निवासी मिथलेश साहू की बेटी मनीषा साहू बी फार्मा, आयुर्वेद की छात्रा हैं. लॉकडाउन के दौरान दुर्ग में रहकर बी फार्मा की पढ़ाई कर रही थीं. इस दौरान जैन मंदिर में जाकर प्रवचन सुना करती थीं. उन्हें लगा कि जैन साधु-साध्वी बनने के लिए किसी भी जाति या समाज का सदस्य होना आवश्यक नहीं है. हर कोई इस संयम की राह को अपना सकता है. ऐसे में उनकी भी इच्छा हुई कि वह संयम पथ की ओर आगे बढ़ सकती हैं और इस रास्ते पर चलकर दूसरों का कल्याण कर सकती हैं. इसलिए उन्होंने वैराग्य शतक की पढ़ाई भी पूरी कर ली है.

बचपन से ही धार्मिक कार्यों में रुचि रखने वाली मनीषा साहू ने बताया कि, पढ़-लिखकर वह डॉक्टर बनना चाहती थीं लेकिन लॉकडाउन के बाद उन्होंने जैन दर्शन को समझा और फिर साधु-साध्वी के प्रवचन सुनीं. वहीं शंका समाधान और जैन सिद्धातों को उन्होंने समझा तो इसके प्रति उनकी रुचि बढ़ती गई और फिर उन्होंने अध्यात्म के मार्ग को चुना. परिवार वालों ने उन्हें समझाया कि यह राह बहुत कठिन है लेकिन वह सोच समझकर निर्णय ले चुकी हैं.

मनीषा एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती है पिता राइस मिल के साथ-साथ कई अन्य कारोबार करते है। मनीषा के पिता का कहना है कि उन्होंने इस मार्ग में ना जाने के लिए अपनी बेटी को बहुत समझाया। उसको बताया कि ये मार्ग बहुत कठिन होता है और भूखे प्यासे रहकर साधना करना होता है। लेकिन उनकी बेटी ने उनकी बात नहीं सुनी बाद में उन्हे महसूस हुआ की उनकी बेटी धर्म की राह में जा रही है। ऐसे में उनको अपनी बेटी का समर्थन करना पड़ा।

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