धर्म एवं साहित्यट्रेंडिंग

दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं पवनपुत्र हनुमान

भारत में भगवान की पूजा विभिन्न रूपों में की जाती है. अमूमन सभी मंदिरों में पवनपुत्र हनुमान को वानर के रूप में ही दर्शाया जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान हनुमान को वानर नहीं बल्कि एक गिलहरी के रूप में पूजा जाता है.

पिछले कुछ दिनों से यह मंदिर कुछ खास कारणों से चर्चा का केंद्र भी बना हुआ है.

गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं हनुमान

हनुमान को धरती पर एकमात्र जीवित देवता माना जाता है. देशभर में उनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं और सभी मंदिरों में वह एक वानर के रूप में ही पूजे जाते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की पूजा वानर नहीं बल्कि एक गिलहरी के रूप में की जाती है.

यह भारत ही नहीं संभवतः दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान जी एक गिलहरी के रूप में पूजे जाते हैं. इस मंदिर में साल भर लाखों श्रद्धालु दर्शन व पूजा करने आते हैं. यह एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है जहां भगवान हनुमान की आंखें साफ दिखायी देती हैं. इस मंदिर को गिलहराज मंदिर के नाम से जाना जाता है.

दाऊ बलराम ने की थी पूजा

भगवान हनुमान के इस रूप की खोज के विषय में कहा जाता है कि सिद्ध संत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज को सपने में भगवान हनुमान ने दर्शन दिये थे. उस समय उन्होंने हनुमान जी की पूजा गिलहरी के रूप में की थी. इसके बाद ही इस मंदिर को बनवाया गया. संत श्री महेंद्रनाथ योगी जी महाराज को ही सबसे पहले यह पता चला था कि इस मंदिर के अचल ताल पर भगवान श्रीकृष्ण के दाऊ बलराम ने भगवान हनुमान की गिलहरी के रूप में पूजा की थी.

इससे ही यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह मंदिर कितना प्राचीन है. हर रोज इस मंदिर पर हनुमान जी को चोला चढ़ाने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति लगातार 41 दिनों तक इस मंदिर में पूजा करेगा उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी.

यूं हुई मंदिर की स्थापना

कहा जाता है कि नाथ संप्रदाय के एक महंत ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. उन्हें हनुमान जी ने सपने में दर्शन देकर कहा था कि मैं अचल ताल पर निवास करता हूं, मेरी पूजा करो. उनके शिष्यों ने जब उस स्थान पर जाकर देखा तो उन्हें मिट्टी के ढेर पर कई गिलहरियां खेलती मिली.

गिलहरियों को हटा कर जब मिट्टी की खुदाई की गयी तो उसमें से उन्हें भगवान की मूर्ति मिली जिसकी बाद में मंदिर में स्थापना की गयी. अन्य मंदिरों में हनुमान जी को एक दिन में केवल 1 ही चोला ओढ़ाया जाता है लेकिन इस मंदिर में एक दिन में 40-50 चोला ओढ़ाया जाता है. यहां हर 25 मिनट में श्रृंगार व आरती होती है.

चर्चाओं में बना हुआ है गिलहराज मंदिर

पिछले कुछ दिनों से अलीगढ़ का गिलहराज मंदिर सूर्खियों में छाया हुआ है. दरअसल, मंदिर प्रबंधन द्वारा जारी दो नये आदेशों की वजह से ही मंदिर को लेकर चर्चाएं शुरू हो गयी है. मंदिर प्रबंधन ने अपने पहले आदेश में मुस्लिमों से मंदिर में प्रवेश ना करने और मंदिर में आने वाले हिंदु भक्तों से शालिन पोशाक पहनकर आने के लिए कहा है. इस वजह से ही गिलहराज मंदिर को लेकर देशभर में चर्चाएं हो रही हैं.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button