इलेक्ट्रिक गाड़ियों के दामों में कमी के लिए ग्राहकों को अभी कुछ इंतजार करना पड़ सकता है.
कारोबारियों के मुताबिक देश में इन गाड़ियों में लगने वाली बैटरी और सेमीकंडक्टर का बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू होने में 6-7 साल का वक्त लग सकता है. उसके बाद गाड़ियों के दाम में करीब 20 फीसदी की कमी आने की संभावना है. इक्रा रिसर्च की रिपोर्ट का भी मानना है कि जिस हिसाब से देश में इन गाड़ियों से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर पुख्ता बनेगा उसी मुकाबले गाड़ियों के उत्पादन में भी कंपनियों की तरफ से तेजी देखने को मिलेगी.
इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाले लोहिया ग्रुप के डायरेक्टर अमित लोहिया ने बताया है कि देश में अभी जो गाड़ियां बिकने की रफ्तार देखने को मिल रही है वो केंद्र सरकार की तरफ से फेम योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी की वजह से है.
बिक्री कम होने की आशंका आने वाले दिनों में अगर सरकार ये सब्सिडी खत्म करने का फैसला करती है या फिर इसे और आगे नहीं बढ़ाया जाता है तो बिक्री की रफ्तार कम होने की आशंका है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि वैसे तो देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर अब पहले के मुकाबले काफी बेहतर है लेकिन इन गाड़ियों की कीमतों में बड़ी कमी के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा.
सरकारी नीतियों से बिक्री में इजाफा होना तय
इक्रा रिसर्च का अनुमान है कि देश में सरकारी नीतियों और प्रदूषण के स्तर को घटाने के लक्ष्य को देखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में इजाफा तय है. रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले दिनों में बिक्री बढ़ने की संभावना को देखते हुए कंपनियां उत्पादन भी बढ़ाएंगी. बिक्री में ये बढ़त सभी सेगमेंट की गाड़ियों में देखने को मिलेगी. रिपोर्ट में देश में सरकार की तरफ से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर बनाने के इंतजामों की तरीफ करते हुए फेम और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना को भी गाड़ियों की बिक्री के लिए बड़ा सहारा बताया गया है.