नई दिल्ली. बच्चों की आंखों का ऑपरेशन करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. सर्जरी से पहले हाथ में कैनुला लगाना और बेहोश करने की प्रक्रिया उनमें भय पैदा करती है. इसको आसान बनाने के लिए दिल्ली एम्स ने चार वर्ष से आठ साल तक के बच्चों पर एक अध्ययन किया. इसमें बच्चों को उनकी पसंद के वीडियो गेम, कार्टून कैरेक्टर आदि दिखाकर बेहोशी की प्रक्रिया की गई.
हाइपरअल्जीसिया के खतरे को कम करता है अध्ययन में पता चला कि बेहोशी से पहले मनपसंद कार्टून या वीडियो गेम देखने वाले बच्चों के दिल की धड़कन अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा सामान्य रही. डॉक्टरों के मुताबिक, सर्जरी से पहले बच्चों का तनाव मुक्त रहना, उनकी जल्द रिकवरी में मदद करता है. इससे दिल की धड़कन भी सामान्य रहती है. यह तरीका हाइपरअल्जीसिया के खतरे को कम करता है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मरीज एनेस्थीसिया के बावजूद ज्यादा दर्द महसूस करता है. एम्स का यह अध्ययन जर्नल ऑफ एनेस्थियोलॉजी एवं क्लीनिक फार्मेकोलोजी में प्रकाशित हुआ.
तनाव का स्तर बहुत कम मिला
अध्ययन में एम्स के डॉक्टरों ने आंखों की सर्जरी के लिए आए लगभग 150 बच्चों को दो अलग-अलग समूह में बांटा. एक समूह में बच्चों को बेहोशी मास्क पहनाने से पहले उनकी पसंद के वीडियो दिखाए और एक समूह के साथ सामान्य तरीके से बेहोशी की प्रक्रिया की गई. इसके बाद बच्चों की दिल की धड़कन और उनके तनाव के स्तर को मापा गया. एनेस्थेसिया के चेकअप से लेकर बेहोशी मास्क पहनाने तक और बच्चों को ट्रॉली में ऑपरेशन थियेटर तक ले जाने के दौरान उनके तनाव के स्तर देखा गया. शोध में पता चला जो बच्चे एनेस्थीसिया की प्रक्रिया से पहले वीडियो देख रहे थे वे ज्यादा शांत थे और उनमें तनाव का स्तर बहुत कम था.
अमेरिका के चिल्ड्रन अस्पताल ने सांस से चलने वाला गेम बनाया
अमेरिका के सिनसिन्नेटी चिल्ड्रन अस्पताल ने तो बच्चों की सर्जरी में मदद के लिए ई-जेड इंडक्शन नाम का एक विशेष वीडियो गेम बनाया है. यह गेम सर्जरी से पहले उन्हें तनाव मुक्त रहने में मदद करता है. बेहोशी मास्क पहनने पर बच्चे की सांस की दर के हिसाब से गेम के कैरेक्टर उन्हें स्क्रीन पर दिखाई देते हैं. इसमें एक चिड़िया आकाश में उड़ती है और उसके नीचे जानवर होते हैं. बच्चा सांस लेता है तो चिड़िया ऊपर उड़ जाती है और सांस छोड़ने पर नीचे गिरती है. इससे बच्चों की सांस दर नियंत्रित करने में सहायता मिलती है.