छोटी मानसिकता न रखें विकसित देश जयशंकर
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चाबहार बंदरगाह पर ईरान और भारत के बीच हुए समझौते को लेकर आपत्ति जताने वाले अमेरिका को दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने मंगलवार रात एक कार्यक्रम में कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और ऐसे में इसे लेकर विकसित देशों को छोटी मानसिकता नहीं रखनी चाहिए.
जयशंकर ने कहा कि अतीत में अमेरिका भी इस बात को मान चुका है कि चाबहार बंदरगाह की व्यापक प्रासंगिकता है. विदेश मंत्री ने कहा, चाबहार बंदरगाह से हमारा लंबा नाता रहा है पर हम कभी दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सके. इसकी वजह यह है कि तब कई समस्याएं थीं.
आखिर में हम इन्हें सुलझाने में सफल रहे हैं और दीर्घकालिक समझौता कर पाए हैं. दीर्घकालिक समझौता इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके बिना हम बंदरगाह पर परिचालन पूरी तरह से नहीं सुधार सकते. हमारा मानना है कि बंदरगाह परिचालन से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा.
अमेरिका खुद पहले बंदरगाह के महत्व की सराहना कर चुका
विदेश मंत्री ने कहा, अगर अतीत में चाहबहार को लेकर अमेरिका के खुद के रवैये को देखें, तो वह इस तथ्य का प्रशंसक रहा है कि चाबहार की व्यापक प्रासंगिकता है. अब हम इस पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, मैंने कुछ बयान देखे हैं पर मेरा मानना है कि यह लोगों को समझाने का सवाल है कि यह वास्तव में सभी के फायदे के लिए है.
यह है मामला
भारत ने सोमवार को ईरान के चाबहार बंदरगाह को संचालित करने के लिए 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे नई दिल्ली को मध्य एशिया के साथ व्यापार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस अनुबंध को लेकर अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि ईरान के साथ व्यापारिक समझौते करने वाले किसी भी देश पर प्रतिबंधों का खतरा है.
व्यापार को बढ़ावा मिलेगा
भारत ने 2003 में ऊर्जा संपन्न ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था. इसके जरिये अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) का इस्तेमाल कर भारत से सामान अफगानिस्तान और मध्य एशिया भेजा जा सकेगा.