भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) देश के सभी अस्पतालों में बिलिंग प्रक्रिया के एक समान मानक तय करेगा. जानकारों का कहना है कि इस कदम से न केवल मरीजों को बल्कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और सरकारी एजेंसियों को भी लाभ होगा. बीएसआई ने इस मसले पर उद्योग निकायों और संबंधित हितधारकों से सुझाव मांगे हैं.
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर हाल में ही एक बैठक बुलाई गई थी, सभी हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे. बैठक में जनप्रतिनिधि संस्थाओं और थिंक टैंक से सुझाव मांगे गए कि अस्पतालों में बिलिंग प्रक्रिया, नियम और इसके मानकों में क्या-क्या प्रमुख बदलाव लाए जा सकते हैं.
अधिकारी ने कहा कि फिलहाल, हम सिफारिशें मांग रहे हैं, उसके बाद कुछ निर्णय लिया जाएगा. गौरतलब है कि बीआईएस देश का प्रमुख राष्ट्रीय निकाय है, जो सेवा क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, संगठनों और अन्य इकाइयों के लिए के लिए मानक तय करता है.
हाल में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को फटकार लगाई थी कि वह निजी अस्पतालों और क्लीनिकल प्रतिष्ठानों द्वारा विभिन्न उपचारों और प्रक्रियाओं के लिए वसूले जाने वाले शुल्क की सीमा निर्धारित करने में विफल रही है. सुनवाई के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सूचित किया था कि सभी अस्पतालों में एक ही प्रक्रिया के लिए शुल्क में एकरूपता संभव नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी और निजी चिकित्सा केंद्रों पर उपचार की कीमतों में भारी अंतर पाए जाने के बाद मंत्रालय को सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के साथ बैठक करने को कहा था.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि जहां तक बिलिंग प्रारूप या टेम्पलेट को परिभाषित करने का सवाल है, यह एक स्वागत योग्य कदम है. बशर्ते इसे प्रमुख हितधारकों के परामर्श से तैयार किया जाए. इस कदम से निश्चित रूप से एकरूपता आएगी और इसे समझने में आसानी होगी.
तीन तिहाई इसके पक्ष में
एक सर्वे के अनुसार, देश के 74 प्रतिशत फीसदी लोग सरकार द्वारा अस्पताल के बिलों में अनिवार्य बीआईएस मानक बनाने के पक्ष में हैं. अधिकांश लोग बिलिंग प्रारूप और अस्पताल के बिलों में विवरण की कमी से खुश नहीं थे. इस सर्वेक्षण में देश के 305 जिलों से लगभग 23,000 नागरिक शामिल हुए थे. कोरोना में, अस्पतालों में लोगों के सामने कई तरह कि समस्याएं आईं. बिना स्पष्टीकरण के विवरण और इलाज के अंत में भारी भरकम बिल थमाए गए.
इस कदम का विरोध भी
कुछ निजी अस्पतालों का कहना है कि पूरे भारत में सभी अस्पतालों के लिए चिकित्सा सेवाओं का मूल्य निर्धारण संभव नहीं है. सरकारी अस्पताल सरकार से सब्सिडी प्राप्त करते हैं. निजी अस्पताल ऐसी किसी भी सब्सिडी के लाभार्थी नहीं हैं. विभिन्न उपचारों और प्रक्रियाओं के लिए समान दरें व्यवहार्य नहीं होंगी. पहले भी केंद्र ने राज्यों के लिए एक मूल्य निर्धारण प्रारूप तैयार किया था, लेकिन राज्यों ने कहा था कि मूल्य सीमा तय करना संभव नहीं होगा.
कोरोना में बढ़े थे ज्यादा बिल वसूलने के मामले
निजी अस्पतालों द्वारा बिलिंग में पारदर्शिता का मुद्दा लंबे समय से चिंता का विषय रहा है. कोविड के दौरान इसमें तेज बढ़ोतरी देखी गई. मरीजों से मोटा बिल वसूलने की शिकायतें सोशल मीडिया के जरिए भी सामने आई थीं. ऐसे में डॉक्टरों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है. इसलिए अस्पतालों की बिलिंग प्रणाली में एकरूपता लाने की आवश्यकता है. इससे जनता और अस्पताल प्रशासन दोनों को मदद मिलेगी.