Chanakya Niti: इन 3 तरह के लोगों से रहें दूर, नहीं तो बर्बाद हो जाएगी जिंदगी!
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैवाहिक जीवन, करियर, स्वास्थ्य और रोजगार तक उन्होंने बहुत सी बातें लिखी हैं, लेकिन नीतिशास्त्र में दूसरों की मदद के बारे में भी कहा है. उन्होंने बताया है कि कभी-कभी आपके द्वारा की गई मदद से दूसरों को फायदा नहीं होता और आपकी खुद की जिंदगी को भी नुकसान पहुंचता है.
किसी की मदद करना एक पवित्र कार्य माना जाता है. दूसरों की मदद करने वाला व्यक्ति आदर्श व्यक्तित्व की निशानी है, लेकिन कभी-कभी आप किसी की मदद करना चाहते हैं. फिर भी चीजें ठीक नहीं हो पातीं हैं तो तो उन्हें आपकी मजबूरी समझ आती है. आपके अच्छे इरादों का एहसास होता है. हालांकि कभी-कभी आपकी मदद से सामने वाले को कोई फायदा नहीं होता है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में सिखाया है कि इन तीन प्रकार के लोगों की मदद करना भी नुकसानदायक हो सकता है. (Chanakya Niti)
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ऐसे लोगों से दूर रहना चाहिए जो अक्सर दूसरों को ठेस पहुंचाते हैं और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार करते हैं. उनकी संगति में रहने से आपका मन नकारात्मक विचारों से भर जाएगा और आपका आत्मविश्वास भी कमजोर होगा. चाणक्य के अनुसार, असभ्य लोगों की संगति मनुष्य को बर्बाद कर सकती है. ऐसे लोगों से दूर रहकर ही आप अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.
Chanakya Niti:
असंस्कारी स्त्रियों से रहें दूर
चाणक्य कहते हैं कि जो स्त्री अच्छे चरित्र की नहीं है, उससे विवाह करने से दाम्पत्य जीवन नष्ट हो जाता है. इसलिए ऐसी स्त्री से कभी विवाह न करें. जो महिलाएं दुर्व्यवहार करने वाली होती हैं और उनका व्यक्तित्व अच्छा नहीं होता है. वे पति के परिवार की प्रगति में बाधा बन सकती हैं. इसलिए उन्होंने सलाह दी कि अपना जीवनसाथी सोच-समझकर चुनें. साथ ही चाणक्य ने बताया कि जीवन में ऐसी महिलाओं से दूर रहना ही बेहतर है.
मूर्ख शिष्य
आचार्य चाणक्य के अनुसार, अज्ञानी शिष्य को कोई भी पाठ समझ में नहीं आता. एक कमजोर छात्र पर अपना समय, ऊर्जा बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है. दूसरे क्या कहते हैं इसकी चिंता मत करो. क्योंकि ऐसे लोगों पर समय बर्बाद करना बेकार है. चाणक्य ने ऐसे लोगों से जितना हो सके दूर रहने की सीख दी है.
रोग से प्रभावित व्यक्ति
बीमार व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करता है. इसके अलावा वह हमेशा दुखी रहता है. वे तुम्हें भी आगे नहीं जाने देंगे. इसलिए आचार्य चाणक्य ने बीमार लोगों से दूरी बनाकर रखने को कहा है. अपने जीवन में बीमार लोगों से दूरी बनाकर रखें.
केवल ये तीन लोग ही नहीं, बल्कि अन्य प्रकार के विशिष्ट गुणों वाले लोग, यानी जो असभ्य, हानिकारक, ईर्ष्यालु, द्वेषपूर्ण, कायर, डरपोक हैं, उनसे दूर रहना ही बेहतर है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में सिखाया है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमेशा झूठ बोलने, शराब पीने, स्वार्थी और लालची लोगों से दूर रहना चाहिए.