
बीमा नियामक इरडा बीमा पॉलिसी वापस (सरेंडर) करने के नियमों में जल्द ही बड़ा फेरबदल कर सकता है. इसके तहत यदि कोई शख्स परिपक्वता अवधि से पहले अपनी जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करता है तो उसे पहले के मुकाबले ज्यादा रकम वापस मिलेगी.
बताया जा रहा है कि इरडा ने बीमाधारकों को राहत पहुंचाने के लिए इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार कर लिया है. बीमा कंपनियों से इस पर राय मांगी गई है.
नए प्रस्ताव में बीमा वापसी शुल्क (सरेंडर चार्ज) को बढ़ाकर 82 प्रतिशत करने की बात कही गई है. वर्तमान में यह वैल्यू करीब 30 फीसदी बनता है.
गौरतलब है कि पिछले साल भी बीमा नियामक इरडा ने सरेंडर वैल्यू को बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था, जिसका विरोध बीमा कंपनियों नेकिया था. इसके बाद इसे लागू नहीं किया. अब यह कवायद फिर शुरू की गई है.
कंपनियां कर रही हैं इसका विरोध
बताया जा रहा है कि कंपनियां इस प्रस्ताव का विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि इससे उनके हितों पर असर पड़ेगा. कंपनियों ने छोटी और लंबी अवधि वाली बीमा पॉलिसी के अनुसार सरेंडर वैल्यू तय करने की बात कही है. यह पांच साल से पहले पॉलिसी लौटाने के आधार पर तय हो सकती है. भले ही पॉलिसी की अवधि कुछ भी हो.
विशेष लाभ भी मिलेगा
बताया जा रहा है कि इरडा ने ऊंची सुनिश्चित रकम वापसी और विशेष सरेंडर वैल्यू का भी विकल्प रखा है. उसके तहत पॉलिसी धारकों को पहले साल से ही विशेष सरेंडर वैल्यू मिलेगी. उदाहरण के लिए किसी पॉलिसीधारक का वार्षिक प्रीमियम 100 रुपये है और बीमे की परिपक्वता अवधि 10 साल है. लेकिन उसने पहला प्रीमियम चुकाने के बाद ही पॉलिसी वापस कर है तो चुकता बीमा राशि 100 रुपये होगी और उसे विशेष सरेंडर वैल्यू के तौर पर 50 रुपये तक वापस मिलेंगे.
कितनी रकम मिलेगी
अगर नया प्रस्ताव पास हो जाता है, इसका फायदा सीधा बीमाधारकों को होगा. पॉलिसी को पहले साल के दौरान लौटाने पर बीमा कंपनी कोई राशि नहीं देगी. दूसरे साल लौटाने पर पॉलिसीधारक को कुल प्रीमियम का 30 प्रतिशत तक भुगतान मिलेगा. तीसरे साल में 35 प्रतिशत और चौथे से सातवें साल में पॉलिसी लौटाने पर 50 फीसदी रकम का भुगतान मिलेगा. अगर परिपक्वता अवधि के अंतिम दो साल में पॉलिसी लौटाई जाती है तो कंपनी 90 फीसदी रकम का भुगतान करेगी.
मोहलत अवधि भी बढ़ी
प्रीमियम का भुगतान किस्तों में किया जाता है, तो ग्रेस पीरियड के लिए भी कवरेज उपलब्ध होगा. भुगतान मासिक किस्तों से किया जाता है, उनका ग्रेस पीरियड 15 दिन होगा और जो तिमाही, छमाही या सालाना किस्तों में स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम का भुगतान करते हैं, वे 30 दिनों की ग्रेस अवधि पा सकेंगें. इससे पहले, बीमा कंपनियों के लिए ग्रेस पीरियड के दौरान स्वास्थ्य बीमा कवरेज देना अनिवार्य नहीं था.