आमतौर पर मीठा खाना और पीना सभी को पसंद है, लेकिन अगर मात्रा ज्यादा होने लगे तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. एक नए अध्ययन में पाया गया कि दुनियाभर में बच्चे और किशोर अधिक डिब्बाबंद जूस और ड्रिंक्स का सेवन करने लगे हैं. वर्ष 1990 की तुलना में 2018 में लगभग 23 फीसदी अधिक किशोर चीनी वाले पेय पदार्थ पी गए.
अमेरिका में टफ्ट्स यूनिवर्सिटी शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है. उनके मुताबिक, मीठे के अधिक इस्तेमाल से बच्चों में मोटापे का खतरा बढ़ गया है. अध्ययन के निष्कर्ष बीएमजे में प्रकाशित हैं. वैज्ञानिकों ने 185 देशों में तीन से 19 वर्ष की आयु वाले बच्चों का डाटा एकत्रित किया. रिपोर्ट में सोडा, जूस ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक, स्पोर्ट्स ड्रिंक और घर पर बने मीठे फ्रूट ड्रिंक को शामिल किया गया.
कुल 1200 से अधिक सर्वेक्षणों के विश्लेषण में पाया कि दुनियाभर में औसतन बच्चे हर हफ्ते 3.6 प्रतिशत चीनी वाला पेय पदार्थ पीते हैं. इसमें दक्षिण एशिया में जहां पीने का अनुपात 1.3 फीसदी था, वहीं लैटिन अमेरिका में 9.1 पाया गया. वहीं 56 देशों में औसत सेवन प्रति हफ्ते सात या अधिक बार देखने को मिला.
रिपोर्ट के अनुसार, सहारा अफ्रीका वाले देशों में औसत साप्ताहिक खुराक 106 फीसदी बढ़कर 2.2 प्रतिशत हो गया. वहीं मैक्सिको में 10.1, पाकिस्तान में 6.4, दक्षिण अफ्रीका में 6.2 और अमेरिका में 6.2 फीसदी दर मिला. शोधकर्ता लारा कैस्टर ने कहा, इसे देखते हुए दुनिया भर में कई सरकारें सोडा टैक्स लागू कर रही हैं.
भारत में क्या है स्थिति
जर्नल ऑफ हेल्थ, पॉपुलेशन और न्यूट्रिशियन सर्वेक्षण में बताया गया कि 9 से 14 आयु वर्ग के भारतीय बच्चे हर हफ्ते 68 फीसदी तक मीठा पेय पदार्थों को पी रहे हैं. इसमें से 53 फीसदी ने दिन में एक या अधिक बार सेवन किया. वहीं 60 फीसदी बच्चे रोज मिठाइयां, चिप्स और बिस्कुट खा रहे हैं. यह मां की तुलना में चार से पांच गुना अधिक था.
चीनी-मीठे पेय पदार्थों के सेवन से बच्चों और किशोरों में मोटापे का खतरा लगातार बढ़ रहा है. यह विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि मोटापे का असर वयस्क होने तक बना रहता है. इससे टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और समय से पहले मृत्यु का खतरा रहता है.