छत्तीसगढ़राष्ट्रीय

छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र : स्वास्थ्य मंत्री की सदन में बड़ी घोषणा

सीजीएमएससी द्वारा मोक्षित कार्पोरेशन से की गई 660 करोड़ की रिएजेंट खरीदी की ईओडब्ल्यू जांच करेगी. छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने ध्यानाकर्षण के दौरान इस संबंध में घोषणा की. यह भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र : शून्यकाल में उठा कानून-व्यवस्था का मुद्दा, विपक्ष ने की चर्चा की मांग, अग्राह्य होते ही कांग्रेस विधायक पहुंचे गर्भ गृह, नारेबाजी करने पर आसंदी ने सदस्यों को किया निलंबित…

भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक द्वारा सदन में रिएजेंट खरीदी की मुद्दा उठाया था, जिस पर स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा कि पिछली सरकार में सुनियोजित रूप से भ्रष्टाचार हुआ. बिना जरूरी, बिना डिमांड के रिएजेंट सप्लाई की गई. 28 करोड़ की रिएजेंट खराब हो चुकी है, और भी खराब होने की आशंका है.

बता दें कि मोक्षित कार्पोरेशन से हुई रिजेंट खरीदी में व्यापक भ्रष्टाचार का मामला लल्लूराम डॉट कॉम उठाता रहा है. यहां तक विधानसभा में पूर्व के सत्र में सरकार के दिए गए लिखित जवाब में बताया गया था कि मोक्षित कार्पोरेशन ने बाजार दर से कहीं ज्यादा कीमत पर रिएजेंट की सप्लाई सरकार कर बड़ा मुनाफा कमाया है. विधानसभा में दी गई एक जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ था कि कुल 182 जांच उपकरण, मशीन और केमिकल रिएजेंट की खरीदी की गई थी. इस खरीदी पर कुल 608 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. छत्तीसगढ़ सरकार को की गई सप्लाई में 4 गुना से लेकर 200 गुना तक मुनाफा कमाया गया.

बताया गया कि जिस रिएजेंट की कीमत करीब 31 हजार रुपए है, उसे करीब 1 लाख 96 हजार रुपए में खरीदा गया. डायसिस कंपनी के एक अन्य रिएजेंट की कीमत जहां 28 हजार 417 रुपए थी, वहां इसकी खरीदी 1 लाख 76 हजार रुपए में कर दी गई. इसी तरह डी डीमर एफएस रिएजेंट की खुले बाजार में कीमत करीब 70 हजार रुपए है, उसे करीब 5 लाख 86 हजार रुपए में खरीदा गया. इसी तरह अन्य दवाओं, उपकरणों और रिएजेंट की सप्लाई में बाजार मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर खरीदी की गई.

ऑडिट में पकड़ी गई थी गड़बड़ी

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता की ओर से मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को सौंपे गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि ऑफिस ऑफ द प्रिंसिपल अकाउंट जनरल ऑडिट आब्जरवेशन ने बड़ी गड़बड़ी पकड़ी थी. ऑडिट ऑब्जरवेशन 29 जनवरी 2021 से 15 मार्च 2021 तक की गई थी. इस आडिट में 193 करोड़ रुपए की खरीदी में आपत्ति जताई गई थी. ऑडिट रिपोर्ट में की गई आपत्ति के बावजूद टेंडर निरस्त नहीं किया गया. मोक्षित कारपोरेशन ने अपनी सप्लाई जारी रखी.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button